सन 1966 में बनी यादगार फिल्म तीसरी कसम की चर्चा मात्र से साहित्यकार फणीश्वर नाथ रेणु की खूब याद आती है। पटना जिले के कसबा प्रखंड के बरेटा गांव में मौजूद एक बैलगाड़ी भी इसी की एक कड़ी है। यह वही बैलगाड़ी है जिस पर फिल्म के नायक हीरामन यानी हिन्दी सिनेमा के शोमैन राजकपूर ने सवारी की थी।
गाड़ी की खासियत यहीं खत्म नहीं होती है। इसपर अक्सर खुद रेणु भी सवार होकर गढ़बनैली स्टेशन आया-जाया करते थे। साथ ही तीसरी कसम से जुड़ी कई फिल्मी हस्तियों ने गाड़ी पर सफर किया था।
इस बैलगाड़ी को तीसरी कसम फिल्म के मुहूर्त में भी शामिल किया गया था। रेणु ने भी अपनी कुछ रचनाओं में इस बैलगाड़ी से अपने लगाव का जिक्र किया है।
खैर, बैलगाड़ी से रेणु के गहरे प्रेम का ही नतीजा है कि आज भी उनका भांजा और बरेटा गांव के तेजनारायण विश्वास ने उसे घर में धरोहर की तरह संभाल कर रखा है। गौरतलब है कि तीसरी कसम फिल्म रेणु की कहानी मारे गये गुलफाम पर आधारित है। साथ ही फिल्म के कई दृश्यों की शूटिंग भी इसी इलाके में की गई थी। इसी क्रम में फिल्म के नायक राजकपूर व नायिका वहीदा रहमान जिस गाड़ी पर गुलाबबाग आते-जाते दिखायी पड़ते हैं, वह गाड़ी रेणु की बड़ी बहन की थी।
हालांकि अब उनकी बहन इस दुनिया में नहीं रहीं। लेकिन बहन की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उनके पुत्र आज भी इस गाड़ी को रखे हुए हैं और उसमें रेणु की छवि देखते हैं। तेजनारायण विश्वास बतलाते हैं कि रेणु जी जब कभी उनके गांव आते थे, गढ़बनैली स्टेशन उन्हें लेने यही गाड़ी जाती थी। फिर इसी गाड़ी से उन्हें स्टेशन भी छोड़ा जाता था।
खास आकार के चलते इस गाड़ी से उन्हें बेहद प्रेम हो गया था। जब तीसरी कसम फिल्म निर्माण की बात सामने आई तो रेणु ने बिना सोचे ही फिल्म में इस गाड़ी के उपयोग की बात राजकपूर के समक्ष रखी थी।
गाड़ी की खासियत यहीं खत्म नहीं होती है। इसपर अक्सर खुद रेणु भी सवार होकर गढ़बनैली स्टेशन आया-जाया करते थे। साथ ही तीसरी कसम से जुड़ी कई फिल्मी हस्तियों ने गाड़ी पर सफर किया था।
इस बैलगाड़ी को तीसरी कसम फिल्म के मुहूर्त में भी शामिल किया गया था। रेणु ने भी अपनी कुछ रचनाओं में इस बैलगाड़ी से अपने लगाव का जिक्र किया है।
खैर, बैलगाड़ी से रेणु के गहरे प्रेम का ही नतीजा है कि आज भी उनका भांजा और बरेटा गांव के तेजनारायण विश्वास ने उसे घर में धरोहर की तरह संभाल कर रखा है। गौरतलब है कि तीसरी कसम फिल्म रेणु की कहानी मारे गये गुलफाम पर आधारित है। साथ ही फिल्म के कई दृश्यों की शूटिंग भी इसी इलाके में की गई थी। इसी क्रम में फिल्म के नायक राजकपूर व नायिका वहीदा रहमान जिस गाड़ी पर गुलाबबाग आते-जाते दिखायी पड़ते हैं, वह गाड़ी रेणु की बड़ी बहन की थी।
हालांकि अब उनकी बहन इस दुनिया में नहीं रहीं। लेकिन बहन की इच्छा को ध्यान में रखते हुए उनके पुत्र आज भी इस गाड़ी को रखे हुए हैं और उसमें रेणु की छवि देखते हैं। तेजनारायण विश्वास बतलाते हैं कि रेणु जी जब कभी उनके गांव आते थे, गढ़बनैली स्टेशन उन्हें लेने यही गाड़ी जाती थी। फिर इसी गाड़ी से उन्हें स्टेशन भी छोड़ा जाता था।
खास आकार के चलते इस गाड़ी से उन्हें बेहद प्रेम हो गया था। जब तीसरी कसम फिल्म निर्माण की बात सामने आई तो रेणु ने बिना सोचे ही फिल्म में इस गाड़ी के उपयोग की बात राजकपूर के समक्ष रखी थी।
विश्वास के मुताबिक एक संस्मरण में इस बात की झलक भी है। चूनांचे, रेणु की यादों को संजोये इस बैलगाड़ी का भविष्य क्या होगा, यह बताना मुश्किल है। फिर भी उम्मीद की जानी चाहिए कि इसे सुरक्षित रखने की दिशा में प्रयास किए जाएं।
हीरामन की गाड़ी आज भी सुरक्षित है यह खुशी की बात है। मात्र सोचकर ही तीसरी कसम का वह पूरा दृश्य आंखों के सामने आ जाता है जब राजकपूर वहीदा रहमान को बैलगाड़ी पर बिठाकर सजनवा बैरी हो गए हमार... गाते हुए चले जा रहे हैं। यह दृश्य इन दिनों और भी ताजा इसलिए हो जाता है क्योंकि नया ज्ञानोदय के प्रेम विशेषांक में रेणु की इस कहानी को फिर से पढऩे का मौका मिला। इसमें कोई दो मत नहीं कि रेणु की इस कहानी को तीसरी कसम के माध्यम से राजकपूर और वहीदा रहमान ने जीवंत कर दिया था। (उदंती फीचर्स)
हीरामन की गाड़ी आज भी सुरक्षित है यह खुशी की बात है। मात्र सोचकर ही तीसरी कसम का वह पूरा दृश्य आंखों के सामने आ जाता है जब राजकपूर वहीदा रहमान को बैलगाड़ी पर बिठाकर सजनवा बैरी हो गए हमार... गाते हुए चले जा रहे हैं। यह दृश्य इन दिनों और भी ताजा इसलिए हो जाता है क्योंकि नया ज्ञानोदय के प्रेम विशेषांक में रेणु की इस कहानी को फिर से पढऩे का मौका मिला। इसमें कोई दो मत नहीं कि रेणु की इस कहानी को तीसरी कसम के माध्यम से राजकपूर और वहीदा रहमान ने जीवंत कर दिया था। (उदंती फीचर्स)
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