वक्त की कीमत
लोग वक्त से अपना संबंध तरह- तरह से स्थापित करते हैं। रेफरी समय पूरा होने की आवाज लगाते हैं। कैदी सजा का वक्त पूरा करते हैं। इतिहासकार समय के अभिलेख रखते हैं। आवारागर्द वक्त बरबाद करते हैं। आकड़ेबाज वक्त का हिसाब रखते हैं।
लेकिन लोग वक्त से चाहे किसी भी तरह संबद्ध क्यों न हो यह तथ्य बरकरार रहता है कि हम सब को वक्त समान परिमाण में दिया जाता हैं। दिन में 24 घंटे होते हैं, हफ्ते में 168 घंटे ही । उनका सदुपयोग भी कीजिए।
लोग वक्त से अपना संबंध तरह- तरह से स्थापित करते हैं। रेफरी समय पूरा होने की आवाज लगाते हैं। कैदी सजा का वक्त पूरा करते हैं। इतिहासकार समय के अभिलेख रखते हैं। आवारागर्द वक्त बरबाद करते हैं। आकड़ेबाज वक्त का हिसाब रखते हैं।
लेकिन लोग वक्त से चाहे किसी भी तरह संबद्ध क्यों न हो यह तथ्य बरकरार रहता है कि हम सब को वक्त समान परिमाण में दिया जाता हैं। दिन में 24 घंटे होते हैं, हफ्ते में 168 घंटे ही । उनका सदुपयोग भी कीजिए।
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