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Jul 1, 2023

लघुकथाः जेब में हाथ

  -  अमर गोस्वामी 

मैंने अपनी जेब में हाथ डाला तो हवा छू गई। सिहरकर मैंने जेब से हाथ बाहर निकाल लिया। ख्याल आया इधर एक महीने से वेतन नहीं मिला है।

 जेब में हाथ डाला तो लगा किसी ने डस लिया हो। ख्याल आया जेब के पैसे माँगने पर किसी को दिये थे, जो उसने जल्दी ही लौटाने का वायदा किया था। जेब खाली थी, मगर वह मेरे पैसे नहीं लौटा रहा था।

जेब में हाथ डाला, तो उँगलियाँ जल-सी गईं। याद आया मेरे सहयोगी ने बेहद जरूरत से मुझे थोड़े रुपये उधार माँगे थे। रुपये मेरे पास थे, मगर मैंने उसे न होने का बहाना कर दिया था।

जेब में हाथ डाला तो हाथ दूर तक चला गया। लगा जैसे किसी गुफा में घुसकर मैंने किसी सोये जानवर छू लिया हो। मैंने घबड़ाकर अपना हाथ बाहर निकाल लिया।  ■■


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