- पारुल हर्ष बंसल
1
प्रेम कब आया
कब गया
इसका भान ही ना हुआ
इसके पाँव में घुँघरू
बँधे होने चाहिए
2
प्रेम को प्रेम ही रहने दो
व्यापार के लिए और
बहुत कुछ है
3
प्रेम पगी बातें हैं
कहीं अधिक मिश्री से भी मीठी
आशंका है श्रवण मात्र से
मधुमेह की
4
प्रेम है या नहीं
इसका निर्धारण उतना ही कठिन
जितना दर्पण की सच्चाई
5
प्रेमपाश में बंदी को
उम्रकैद नसीब होना
ईश्वर की झोली में
छेद हो जाने -सा है
6
छोटी बच्ची को
खिलखिलाते देख
प्रेम ने खुद पर नाज़ किया
मैं अभी जिंदा हूँ.....
7
प्रेम ने मुझे
इस तरह पोसा
अब काँधे पर ही
बिठा लिया है.....
8
प्रेम बिन जिया जो,
वो क्या जिया
काबिले- तारीफ तो वो है
जो प्रेम की सभी अवस्थाओं
संग जिया....
9
प्रेम ने सुनी
सिसकी कानों से
और आ गया
आँखों के रास्ते से
3 comments:
बहुत ही सुंदर भाव एवं अभिव्यक्ति।
एक से बढ़कर एक सुंदर क्षणिकाएं, बधाई पारुल
प्रेम की खूबसूरत दरिया बह गई
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