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Mar 1, 2022

कविता- उस दिन कहना...

 - शशि बंसल गोयल

जिस दिन कह सको

मन नहीं रसोई पकाने का

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना -

महिला दिवस


जिस दिन सोच सको

अकेले घूमने जाने का

सब सहमति दे दें ..

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन पहन सको

सिर्फ़ अपनी पसन्द का

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना - 

महिला दिवस


जिस दिन चाह सको

जोर से खिलखिलाना

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन सजा सको

घर अपनी रुचि का

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन निगल सको

सबसे पहला निवाला

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन कर सको

अकेले सफ़र दूर का

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन ले सको

निर्णय बच्चों के कल का

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन बुलाना चाहो

अतिथि अपनी पसन्द के

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन लेना चाहो

अपने-अपने छोटे अधिकार

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन  करना चाहे

नारी 'नारी' का सम्मान

सब सहमति दे दें

उस दिन कहना-

महिला दिवस


जिस दिन होना चाहो

'कर्त्तव्यों' से मुक्त

मन न सहमति दे

उस दिन कहना-

महिला दिवस

सम्पर्कः जे- 61, गोकुलधाम अपोजिट सेंट्रल जेल, भोपाल - 462038, मो. 7697045571

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