- आशा पाण्डेय
(कैंप अमरावती, महाराष्ट्र)
रंग जामुनी, माह फागुनी,
पूनम की सौगात ।
धूसर, धूमिल, लाल, हरे रंग,
भीग रहा है गात ।
वन-पलाश के मोह-पाश में,
लिप्त हुआ ऋतुराज ।
बौर आम का गंध बिखेरे,
मन मोहे सरताज ।
बाजे डमरू और नगाड़ा,
ढोल – झांझ – झंकार ।
झूम उठे सब भंग के रंग में,
सुर - बेसुर करताल ।
भूल द्वेष को, राग क्लेश को,
उड़े अबीर गुलाल ।
मीत से होरी, नयन की चोरी,
मुखड़ा कम्पित लाल ।
1 comment:
बहुत सुंदर
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