उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Apr 1, 2025

जीवन दर्शनः व्यर्थ को करें विदा

  - विजय जोशी 

- पूर्व ग्रुप महाप्रबंधक, भेल, भोपाल (म. प्र.)

कल हम न होंगे न कोई गिला होगा
सिर्फ सिमटी हुई यादों का सिलसिला होगा
जो लम्हे हैं चलो हंसकर बिता लें
जाने ज़िंदगी का कल क्या फैसला होगा
√) जीवन बहुत छोटा किंतु बहुत हसीन है। कितनी सार्थक सुविधा के साथ ईश्वर ने हमें धरती पर भेजा है। सुंदर, सुगठित शरीर, बल, बुद्धि, विद्या, विवेक सहित ताकि हम प्राप्त पलों का भरपूर आनंद लेते हुए कर्मों से धरा पर अपने आगमन को सार्थक करते हुए विदा हों। यह तो हुई पहली बात।
√) दूसरी बात यह कि होता क्या है। वास्तविकता के धरातल पर छोटी मोटी बातों को तूल देते हुए व्यर्थ के वाद विवाद, मान अपमान की मिथ्या धारणा को धारण करते हुए हम प्राप्त सब कुछ गंवा देते हैं।
√) एक बुज़ुर्ग महिला गंतव्य पर पहुँचने के लिये सार्वजनिक बस में एक सीट पर बैठ गई। अगले ही स्टॉप पर लदे हुए भारी- भरकम अनेक बेग सहित एक अभद्र युवा महिला ने साथ वाली सीट पर आसान ग्रहण कर लिया। और इस तरह सहयात्री के लिये परेशानी का सबब बन गई। 
√) लेकिन पूर्ववर्ती महिला बिना किसी शिकायती लहजे या दुर्भावना के सहज शांतचित्त ही बनी रही। यह आश्चर्यजनक घटना देखकर एक अन्य सहयात्री ने उस भद्र महिला से पूछा : जब उस अभद्र महिला ने इतना कुछ किया , तो आपने शिकायत क्यों नहीं की।
√) अब चकित होने की बारी प्रश्नकर्ता की थी जब उत्तर मिला : इतनी छोटी सी बात या घटना के लिए असहज होने जैसी कोई बात नहीं। हमारी यात्रा छोटी सी है। अगले स्टॉप पर ही मुझे उतर जाना है। जीवन में अनेक ऐसे अवसर आएँगे, किंतु अनर्थ के वाद विवाद को जन्म देने या उत्तेजित होने के बजाय उचित तो यही होगा कि हम अपने खुद के जीवन के माधुर्य को बलिदान न होने दें। यही कारण है कि मैं न तो रुष्ट हुई और न ही बदले में बदतमीजी को स्वीकार किया। कुल मिलाकर संदेश स्पष्ट था :
जहाँ चोट खाना, वहीं मुस्कुराना 
मगर इस अदा से कि रो दे ज़माना
√) अब इस प्रसंग को वास्तविक जीवन से जोड़िए। हममें से हर एक धरती पर उतरा है एक निश्चित समय या पलों की थाती लेकर और यह अवधि इतनी सीमित है कि इसे बर्बाद करने के बजाय प्राप्त पलों का सदुपयोग करते हुए शांतचित्त से प्रसन्नतापूर्वक जीने में ही हमारी भलाई निहित है बनिस्बत हर छोटी मोटी बात पर व्यर्थ के वाद विवाद में उलझकर अपने मानस की शांति खोने में। याद रखिये हमारा बड़प्पन क्षमा कर देने में है बजाय ईर्ष्यालु होने के, क्योंकि ऐसे प्रसंग दुःखद से अधिक तो हास्यास्पद आपदा समान होते हैं और समय के अपव्यय के सूचक। 
जिनका काम सियासत है वो सियासत जानें
अपना पैगाम मोहब्बत है जहाँ तक पहुँचे

42 comments:

Sonneteer Anima Das said...

इस अद्भुत दार्शनिक तत्व ने मुझे अत्यंत प्रभावित किया... 🙏🏻 हमारे जीवन के संघर्ष तो हमारे ही हैं... उसमें किसी और का कोई स्थान होता ही नहीं... इस हेतु.. आपके कहे अनुसार जीवन के माधुर्य का बलिदान क्यों दें.. क्यों न उसी माधुर्य से नव प्रभात का आरंभ करें 🙏🏻 धन्यवाद 🙏🏻

Anonymous said...

जीवन जीने का सुंदर फ़लसफ़ा। सुदर्शन रत्नाकर

Vandana Vohra said...

Very profound message....

Rajeev Agarwal said...

बहुत पुराना दोहा है: संत कवि रहीमदास जी का बहुत ही प्रचलित दोहा है-
क्षमा बड़न को चाहिये, छोटन को उत्पात।
का रहीम हरी का घट्यो, जो भृगु मारी लात।।

हमें छोटी छोटी बातों में लोगों से उलझना नहीं चाहिए और न ही अनावश्यक क्रोध करना चाहिए।

यह जीवन बहुत छोटा है और थोड़ा कष्ट सहने से यदि जीवन खुशमय बनता है तो ऐसा करके एक आपस में मिलजुल कर रहना चाहिए।

Hemant Borkar said...

पिताश्री ने सरल एवं सुन्दर शब्दों में इस जीवन में जीने का सार समझा दिया। पिताश्री को सादर प्रणाम व धन्यवाद 🙏 हेमंत 🙏

Mahesh Manker said...
This comment has been removed by the author.
Mahesh Manker said...

आदरणीय सर,

अति उत्तम और प्रेरणादायक लेख।

"व्यर्थ को विदा" करके ही जीवन को सुगम बनाया जा सकता हैं।


🙏

Manish Gogia said...

अति सुंदर सबक , प्रेरणादायक लेख

Daisy C Bhalla said...

Nice way to live life.When we are young the energy in our personality guides differently. We try to show mirror to others for their doings🙏🏼As one ages one realises unbeatable self potential.

Samar Roy said...

True,we are all here on a temporary permit so why waste time in insignificant issues! Profound message !
S N Roy

Anonymous said...

Hamen Sabr se kam Lena chahie samay sab theek kar deta hai

vivek sharma said...

message to be implemented in life

मुकेश श्रीवास्तव said...

आपने पुनः सरल शब्दों में बड़ा संदेश दिया

देवेन्द्र जोशी said...

यह बात बिल्कुल सही है कि हम केवल स्वयं पर नियंत्रण कर सकते हैंl थोड़ी सी सहनशीलता और थोड़ी सकारात्मक सोच न केवल हमें आसपास के माहौल को खुशनुमा बना सकते हैंl आप में सरल उद्धरण से सशक्त सन्देश देने की अद्भुत क्षमता है l

पंडित अनिल ओझा said...

हमेशा की तरह आपके विचार सीधे दिल से दिल तक।आपकी कलम के कमाल को सलाम।संसार है एक नदिया।दुख,सुख दो किनारे है। न जाने कहां जाएं,हम,बहते धारे हैं।जीना यहां,मरना यहां,इसके सिवा जाना कहां।अक्सर हम अपनी ऊर्जा व्यर्थ चीजों में लगाते है।चल अकेला,चल अकेला,चल अकेला।तेरा मेला पीछे छूटा राही,चल अकेला।

Anonymous said...

Sir, excellent thought

Anonymous said...

आपका हर लेख सकारात्मक एवं ज्ञानवर्धक रहता है।🙏

विजय जोशी said...

हार्दिक आभार मित्र

विजय जोशी said...

प्रिय अनिल भाई
आपका मेरे प्रति अद्भुत स्नेह है। जीवन के वास्तविकता से साक्षात्कार विनम्र प्रयास किया है। हार्दिक आभार सहित

विजय जोशी said...

आदरणीय
आप तो सदैव से मेरे शुभचिंतक वरिष्ठ रहे हैं। स्वानुशासन अनमोल होता है। हार्दिक आभार सहित सादर

Anonymous said...

बहुत बढ़िया सीख.. आवेग व आवेश पर नियंत्रण विवादों से काफी हद तक दूर रख सकता है 🙂🙏

Anonymous said...

अति उत्कृष्ट और सुन्दर सारगर्भित आलेख, थोड़े से शब्दों में बहुत सुन्दर,सकारात्मक सोच के साथ संतोषपूर्वक जीवन जीने की कला का मर्म हैं ये आपका लेख .सच मे जीवन बहुत छोटा हैं, हजारों सालों की क़ायनात में हम सिर्फ कुछ सालों के लिए आते हैं एक मेहमान की तरह, पर ये बात बहुत देर से समझ में आती हैं, जब हमारा सफर बहुत छोटा-सा हैं तो क्यों ना हम नकारात्मकता से दूर रहकर शांति चित्त से अपना जीवन व्यतित करें.

Anonymous said...

अति उत्कृष्ट और सुन्दर सारगर्भित आलेख, थोड़े से शब्दों में बहुत सुन्दर,सकारात्मक सोच के साथ संतोषपूर्वक जीवन जीने की कला का मर्म हैं ये आपका लेख .सच मे जीवन बहुत छोटा हैं, हजारों सालों की क़ायनात में हम सिर्फ कुछ सालों के लिए आते हैं एक मेहमान की तरह, पर ये बात बहुत देर से समझ में आती हैं, जब हमारा सफर बहुत छोटा-सा हैं तो क्यों ना हम नकारात्मकता से दूर रहकर शांति चित्त से अपना जीवन व्यतित करें.
Madhulika sharma इंदौर

विजय जोशी said...

प्रिय मधु बेन
बहुत सुंदर सारगर्भित व्याख्या की है। जीवन के मंच पर हमारा आचरण ही हमारा योगदान होगा। हार्दिक आभार सहित सस्नेह

विजय जोशी said...

हार्दिक आभार मित्र

विजय जोशी said...

प्रिय बंधु मुकेश
हार्दिक आभार सधन्यवाद

विजय जोशी said...

प्रिय विवेक
हार्दिक आभार सस्नेह

विजय जोशी said...

Absolutely correct. Thanks very much

विजय जोशी said...

Thanks very very much sir

विजय जोशी said...

Dear Daisy
So nice of you. Thanks very much

विजय जोशी said...

प्रिय बंधु मनीष
हार्दिक आभार

विजय जोशी said...

प्रिय भाई महेश
हार्दिक आभार सहित

विजय जोशी said...

प्रिय हेमंत
हार्दिक हार्दिक आभार सहित सस्नेह

विजय जोशी said...

प्रिय राजीव भाई
सही कहा आपने। दिल रखेंगे बड़ा तो ही रहेंगे सदा सुखी और स्वस्थ।
हार्दिक आभार सहित सादर

विजय जोशी said...

Dear Vandana
Thanks very much. Regards

विजय जोशी said...

आदरणीया
बात का मर्म सबसे पहले आपने समझा और साझा किया। जीवन का माधुर्य कितना सुंदर भाव अभिव्यक्त आपके संदेश में। हार्दिक आभार सहित सादर

Rajeev Agarwal said...

आदरणीय सर, आपके लेख बहुत प्रेरणादायक और सुखी जीवन जीने की कला सिखाते हैं। हम सभी को इनमें दी गईं सीख को याद रखना चाहिए और जहां तक हो सके अपने जीवन में उतारना चाहिए। बहुत बहुत धन्यवाद आपको ऐसे प्रेरणादायक लेखों के लिए।

Rajeev Agarwal said...
This comment has been removed by the author.
Sharad Jaiswal said...

आदरणीय सर,

बहुत ही सुंदर व अनुकरणीय लेख ।
सत्य ही है, हमारा विजन और मिशन स्पष्ट होना चाहिए तथा राह में आने वाली ऐसे छोटी मोटी घटनाओं को नजरअंदाज करना आना चाहिए जिससे शांतिपूर्वक जीवन जिया जा सकें ।

Anonymous said...

प्रेरक

Anonymous said...

बड़े-बड़े दार्शनिकों ने अपनी-अपनी सोच से जिंदगी के बारे में बहुत कुछ लिखा है। आज आपके छोटे से लेख में सरल भाषा में उसका निचोड़ सबके सामने रखा है। बहुत खूब...।
सुरेश कासलीवाल

Dr.Surinder kaur said...

Rightly said forgetfulness and remaining away from negative thoughts leads to peaceful living in this journey