- डॉ. कुँवर दिनेश सिंह
1
अकेला पेड़
घर की दीवार से
सटा है पेड़
2
नन्हा- सा सोता
बीहड़ जंगल में
एकल रोता
3
तारों का मेला
रात है जगमग
चाँद अकेला
4
नार अकेली
छेड़ती बार- बार
हवा सहेली
5
डगर सूनी
जी बहलाने आई
हवा बातूनी
6.
अँधेरा हटे -
क्षितिज की भट्टी में
सूरज पके!
7.
पौ फटते ही
पूर्वी क्षितिज पर -
लपटें उठीं!
8.
आग भोर की
देवदारों से छने -
स्फुलिंग कई!
9.
सूरज उगे
नभ- कैनवास पे
दिन उकेरे!
10.
लाल विहाग!
सूर्य की जिजीविषा -
आग ही आग!
2 comments:
वाह, प्रकृति के मोहक चित्रों से सज्जित सुन्दर हाइकु, हार्दिक बधाई डॉ.कुँवर दिनेश सिंह जी
प्रकृति के विभिन्न रंगों वाली बहुत ही सुंदर हाइकु 🌹🌹
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