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Dec 1, 2024

हाइकुः हवा बातूनी

  -  डॉ. कुँवर दिनेश सिंह








1

अकेला पेड़

घर की दीवार से

सटा है पेड़

2

नन्हा- सा सोता

बीहड़ जंगल में

एकल रोता

3

तारों का मेला

रात है जगमग

चाँद अकेला

4

नार अकेली

छेड़ती बार- बार

हवा सहेली

5

डगर सूनी

जी बहलाने आई

हवा बातूनी

6.

अँधेरा हटे -

क्षितिज की भट्टी में

सूरज पके!

7.

पौ फटते ही

पूर्वी क्षितिज पर -

लपटें उठीं!

8.

आग भोर की

देवदारों से छने -

स्फुलिंग कई!

9.

सूरज उगे

नभ- कैनवास पे

दिन उकेरे!

10.

लाल विहाग!

सूर्य की जिजीविषा -

आग ही आग!


2 comments:

शिवजी श्रीवास्तव said...

वाह, प्रकृति के मोहक चित्रों से सज्जित सुन्दर हाइकु, हार्दिक बधाई डॉ.कुँवर दिनेश सिंह जी

नंदा पाण्डेय said...

प्रकृति के विभिन्न रंगों वाली बहुत ही सुंदर हाइकु 🌹🌹