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Jun 1, 2024

कविताः उसकी चुप्पी

  -  डॉ.  कविता भट्ट ‘शैलपुत्री’






उसकी चुप्पी- 

मेरे भीतर उतर आई हो 

कहीं जैसे; 

करने को आतुर हों 

अनन्त यात्रा 

मेरी आत्मा तक 

उसकी आँखें 

यों देख रही हैं 

एकटक मुझे 

भीतर से भीतर तक 

अभी तो स्पर्श भी न किया

 फिर ये कैसा जादू है।

3 comments:

  1. Anonymous04 June

    सुंदर अभिव्यक्ति। सुदर्शन रत्नाकर

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  2. इस प्यारी सी कविता के लिए बहुत बधाई

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  3. बहुत सुंदर कविता...हार्दिक बधाई।
    कृष्णा वर्मा

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