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Jun 1, 2024

कविताः चलो लगा दें इक पेड़

  - राजेश पाठक

करो न अब थोड़ी भी देर

चलो लगा भी दें इक पेड़


खेतों से हरियाली गायब

घर-घर से खुशहाली गायब

बचा न जंगल में इक शेर

चलो लगा भी दें इक पेड़


कड़ी धूप में छांव भी देता

पानी हो तो नाव भी देता

नहीं देखता अपना-गैर

चलो लगा भी दें इक पेड़


नहीं प्रदूषण होने देता

सांसें भी ना खोने देता

बिना न इनके कोई खैर

चलो लगा भी दें इक पेड़

सम्पर्कः पावर हाउस रोड, न्यू बरगंडा, गिरिडीह, झारखंड- 815301

1 comment:

Anonymous said...

संदेश देती सुंदर कविता । बधाई ।सुदर्शन रत्नाकर