पहला- नमस्कार, मुझे अपने बच्चे के जन्म का प्रमाणपत्र चाहिए।
दूसरा- ठीक है, इस फार्म को भर कर एक रुपया जमा करा देना, पन्द्रह दिन बाद मिल जाएगा।
पहला- पन्द्रह दिन? मुझे जल्दी चाहिए। एडमिशन फार्म के साथ देना है।
दूसरा- आप लोग ठीक समय पर जागते नहीं हैं और हमें तंग करते हैं। बड़े बाबू से बात करनी पड़ेगी, दस रुपये लगेंगे। एक हफ्ते में सर्टिफिकेट मिल जाएगा।
पहला- भाई साहब< मुझे दो दिन में चाहिए। आप कुछ कीजिए, प्लीज़।
दूसरा- ठीक है बीस रुपये दे दीजिए, लंच के बाद ले जाइए।
पहला- मैं विजिलेंस से हूँ, तो तुम रिश्वत लेते हो?
दूसरा- हुज़ूर माई बाप हैं। यह आज की कमाई आप की सेवा में हाज़िर है।
पहला-ग़लत काम करते हो और हमें तंग भी करते हो। तुम्हें सस्पेंड भी किया जा सकता है।
दूसरा- हुज़ूर, एक हज़ार दे दूँगा।
पहला– तुम तो मुझे धर्म संकट में डाल रहे हो। मुझे तुम्हारे बाल- बच्चों का ध्यान आ रहा है। परन्तु ड्यूटी इज़ ड्यूटी।
दूसरा- हुज़ूर दो हज़ार से ज़्यादा की औकात नहीं है।
पहला- ठीक है, ठीक से काम किया करो। आदमी को पहचानना सीखो। मुझसे मिलते रहा करो। तुम जैसे कुशल कर्मचारियों की देश को बहुत आवश्यकता है।
यह कहकर उसने हाथ मिलाया, संधि पर हस्ताक्षर किए और देश तीव्रता से प्रगति करने लगा।
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गहरा तंज करती सुंदर लघुकथा । सुदर्शन रत्नाकर
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