वर्ष- 15, अंक- 5
मुड़-मुड़कर क्या देखना,
पीछे उड़ती धूल ।
फूलों की खेती करो, हट जाएँगे शूल ।।
इस अंक में
अनकहीः नया साल, नया दिन, नया संकल्प - डॉ. रत्ना वर्मा
आलेखः मकर संक्रांति- भारतीय संस्कृति में सूर्य - प्रमोद भार्गव
दोहेः सुबह सुहानी धूप - शील कौशिक
धरोहरः सिरपुर में है विश्व का सबसे बड़ा बौद्ध विहार - डॉ.
रत्ना वर्मा
संस्मरणः पचासी पतझड़ - निर्देश निधि
चोकाः मैं सूरज हूँ - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
आलेखः युवा भारत का अमृत महोत्सव - डॉ. जेन्नी शबनम
बाल कहानीः दादा जी की नसीहतें - पवित्रा अग्रवाल
कहानीः अजनबी - प्रियंका गुप्ता
तीन लघुकथाएँः वर्तमान का दंश, खूबसूरत, पहेली
- डॉ . सुषमा गुप्ता
कविताः दुआ का पौधा -
रश्मि विभा त्रिपाठी
दो लघुकथाएँः 1. पपेट शो,
2.देवो भवः - दीपाली ठाकुर
बाल कविताः खुद सूरज बन जाओ न - प्रभुदयाल श्रीवास्तव
व्यंग्यः भैया जी - शंकर लाल माहेश्वरी
कविताः हो उदय अब सूर्य कोई - मीनाक्षी शर्मा ‘मनस्वी’
आलेखः मनुष्यता का विचार देने वाले स्वामी
विवेकानंद - प्रमोद भार्गव
जीवन दर्शनः माटी कहे कुम्हार से: निर्णय से नियति - विजय जोशी
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