पिछले
कुछ दिनों से अम्मा के बाएँ घुटने में बहुत दर्द था। गाँ
व के डॉक्टर की दवाई का जब असर नहीं हुआ तो पंकज उसे शहर के डॉक्टर के पास
ले गया। डॉक्टर ने कैल्शियम की भारी कमी बताते हुए दवाई दी और साथ ही हिदायत भी कि
महीने भर चलना फिरना नहीं है, ज़्यादा से ज़्यादा बाथरूम तक
जा सकती हैं बस! गाँव लौटने के बाद दो दिन तक वह सचमुच घर से बाहर नहीं निकली।
तीसरे दिन पंकज ने पाया कि अम्मा घर पर नहीं है। पता चला कि पड़ोस में सपना के घर
गई है। वापस आने पर पंकज ने पूछा तो अम्मा ने कहा- अब दर्द कुछ ठीक है। सपना को
मोठ की बड़ियाँ बनानी नहीं आतीं। वही बनाना सिखाने गई थी।
-
क्या अम्मा तुम भी! अपनी सेहत का ख़याल करो सबसे पहले। क्या ज़रूरत थी?
अम्मा उस समय चुप हो गई, पर अगले कुछ दिनों में
पंकज ने पाया कि वह अक्सर कहीं न कहीं चली जाती है। कभी कहीं किसी की तबीयत पूछने,
कभी किसी के घर चूल्हा न जलने की बात पता चलते ही दो चार सेर गेहूँ
पहुँचाने, किसी के यहाँ
सेवइयाँ बनवाने, किसी के सर पर तेल मालिश करने। पता
नहीं कितने काम थे अम्मा के लिए!
एक
दोपहर पंकज ने घर में प्रवेश किया, ठीक उसी समय
उसके पीछे-पीछे दर्द से कराहती अम्मा ने भी चौखट लाँघी। उससे चला नहीं जा रहा था।
उसने अपने घुटने पर पंकज का पुराना अँगोछा कसकर बाँध रखा था। पंकज को देखते ही
उसने कराह कंठ में दबा ली। सोहन अम्मा को कंधे का सहारा देकर अंदर ले आया। अम्मा
के बैठते ही उसने किंचित ग़ुस्से से पूछा- आज कहाँ गई थी अम्मा? इतना दर्द है फिर भी...
- आज
मदन के पिता का श्राद्ध था। वो जो झुग्गियाँ बनाकर ग़रीब-गुरबे रह रहे हैं न, उनको खाना खिलाना था उन्हें और बेचारी मदन की घरवाली अकेली थी, भला सारा काम कैसे सँभालती वो, इसलिए ज़रा...
- तो
सारे गाँव की ज़िम्मेदारी तुम्हारी है? अपनी उम्र और
सेहत तो देखो।
-
गाँव मुझसे उम्मीद करता है, सबको नाउम्मीद कर दूँ कि जाओ भई
मैं तुम्हारे किसी काम नहीं आने वाली। और मेरी सेहत को क्या हुआ है? दर्द ही तो है, वो तो घर बैठी रहूँ तब भी होता है।
पर तू नाराज़ होता है तो...
पंकज
के भीतर जैसे कोई बादल घुमड़कर बरसने के लिए छटपटाने लगा। अम्मा के लिए इतना प्यार
उमड़ा कि उसने हल्की-फुल्की अम्मा को बाँहों में उठाकर घुमा दिया- ओ मेरी प्यारी
अम्मा,
इसीलिए तो सारा गाँव तुम्हें अपनी अम्मा मानता है, जहाँ तुम्हारा जी करे, जाओ। मैं कौन रोकने वाला।
पंकज
ने अम्मा को उतारकर चारपाई पर बैठा दिया और आँखों को अम्मा से छुपाता तेज़ी से घर
से बाहर निकल आया। ●
सम्पर्कः 406, सेक्टर-20,
सिरसा-125055 ( हरियाणा)
No comments:
Post a Comment