बेटी
घर में
आशा की किरण बनी,
नवरात्र में
देवी शरण में
जगमग ज्योति जली !
2.
बेटी
माँ-बाप का
बुढ़ापे में
सहारा बनी,
जीवन की बगिया खिली !
3.
बेटी
नीलगगन में
उड़ान भर रही,
अपने पैरों
खड़ी हो रही !
4.
बेटी
दोनों परिवार का संबल
दोनों को सँभाले,
कल के लिए
कोई काम नहीं टाले !
5.
बेटी
माँ, पत्नी, भाभी, बहन का
रोल ही नहीं निभाती,
ज़िन्दगी की नाट्यशाला को
हकीकत बनाती !
सम्पर्कः एल आई जी-1 सिंगल स्टोरी, बर्रा -6 कानपुर- 2080, मो. 9455511337, chakradharshukl78@gmail।com
1 comment:
सुंदर क्षणिकाएँ।
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