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Jan 1, 2021

कविता- करो भोर का अभिनंदन

करो भोर का अभिनंदन
-रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

 

मत उदास हो मेरे मन

करो भोर का अभिनन्दन!

 

काँटों का वन पार किया

बस आगे है चन्दन-वन।

बीती रात, अँधेरा बीता

करते हैं उजियारे वन्दन।

सुखमय हो सबका जीवन!

 

आँसू पोंछो, हँस देना

धूल झाड़कर चल देना।

उठते –गिरते हर पथिक को

कदम-कदम पर बल देना।

मुस्काएगा यह जीवन।

 

कलरव गूँजा तरुओं पर

नभ से उतरी भोर-किरन।

जल में ,थल में, रंग भरे

सिन्दूरी हो गया गगन।

दमक उठा हर घर-आँगन।

1 comment:

  1. आँसू पोंछो, हँस देना

    धूल झाड़कर चल देना।

    उठते –गिरते हर पथिक को

    कदम-कदम पर बल देना।

    मुस्काएगा यह जीवन।सकारात्मक सोच,प्रेरणा देतीं पंक्तियाँ।

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