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Nov 3, 2020

कविता - ज्योति जगाएँगे

 - रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु

शुभ संकल्प हृदय में जागें,

दुनिया को सुखी बनाएँगे।

रोग-शोक घर-घर से भागें,

मिल ऐसी ज्योति जगाएँगे।

 

दीप हमारे मन की ताकत,

आशा का उजियारा है।

दीप नाश की कालरात्रि का,

 हर लेता हर अँधियारा है।

घर जलाने वाले  कभी क्या

आँगन में दीप जलाएँगे?

जो मरघट में पूजा करते

वे  गीत नाश के गाएँगे।

 

जिनके मन की दया मरी है

अब उनका शोक मनाना क्या!

परहित जिनके लिए पाप है

उनके नाम गिनाना क्या!

विष-बाणों से करें आरती

अब उनको क्या समझाएँगे!

हम तो उजियारे के रक्षक,

जो सिर्फ रोशनी लाएँगे।

2 comments:

प्रगति गुप्ता said...

बहुत सुंदर भाव

Sudershan Ratnakar said...

हम तो उजियारे के रक्षक
जो सिर्फ़ रोशनी लाएँगे ।
बहुत सुंदर भाव एवं सकारात्मक सोच।