युद्ध कर
-सुधा राजे
हो लिया जितना दुखी होना था रोना रो लिया,
भाग्य जैसा है सो है तू उठ स्वयं को सिद्ध कर
जन्म से है मृत्य निश्चित मध्य दूरी
रुद्ध कर,
कृष्ण
भी तू पार्थ भी तू जीत है तय युद्ध कर ,
१.अब न मुड़कर देखना पीछे कि किसका
क्या हुआ
शक्ति गह चुपचाप मत रह ,है
मनुज या केंचुआ !!
कुछ न कुछ तो खोज खुद में, गुन अलग
सबसे अलग
सीख ले हुई देर कितनी भी ,उसे फिर शुद्ध कर
कृष्ण भी तू पार्थ भी तू जीत है तय युद्ध कर
२. मानता है ईश को तो ईश पर विश्वास कर
नास्तिक है तो स्वयं की शक्ति का अहसास कर
खो गया जो वो तो आने से रहा जितना भी रो
पर जो पा सकना अभी भी शेष है वो बीज बो
तू स्वयं का मित्र तो बन आंक निज को बुद्ध कर
कृष्ण भी तू पार्थ भी तू जीत है तय युद्ध कर।
३.जो भी होना है अनिश्चित है तो किसका भय
तुझे
संकलित संग्रह सभी खोना यहीं ये तय तुझे
भोगवादी हो कि हो तू हो त्यागवाला तय
तो कर
आक्रमण है श्रेष्ठ बचने से तू निज बल क्रुद्ध
कर
मूल निवासी- 'दतिया मध्य
प्रदेश', सम्प्रति- सीनियर एडमिनिस्ट्रेशन ऑफिसर , लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी , फगवाड़ा , पंजाब पिन १४४४११,
सम्पर्कः 41 -c , ऑफिसर्स रेजिडेंस अप्पार्टमेंट , सेक्टर 2 , एल पी यू
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