-माला झा
"एक्सक्यूज़ मी..."
"जी.." मैंने मुड़ते हुए कहा।
"मि एंड मिसेज खान के नाम से हमारा कमरा बुक होगा आपके होटल
में"-एक आकर्षक युवक काउंटर की दूसरी ओर मुझसे मुखातिब था।
"जी बस अभी देखती हूँ"...मैंने रजिस्टर पर झुकते हुए
कहा।
"जी हाँ कमरा नम्बर 234 " मुस्कुराते हुए मैंने उसे चाबी पकड़ा दी।
गोल्डी
बैरे को मैंने इशारे से उनके सामान को
कमरे तक पहुँचाने का आर्डर दिया।इस बीच मैंने बुर्के में लिपटी मोहतरमा पर यूँ ही
उचटती सी नज़र डाली जो कि कुछ सकुचाई और सहमी सी उसका हाथ पकडे खड़ी थी।चाबी हाथ में
लेते ही दोनों गोल्डी बैरे के पीछे हो लिए। अचानक काउंटर पर लेडीज पर्स देखकर मैंने
उन्हें आवाज़ दी और लगभग झपटते हुए उनके पास पहुँच गई ।
"मैडम आपका पर्स"....कहते हुए मेरी नज़रें उन हसीन आँखों
पर पड़ गई, जो कि उसके हिज़ाब से ख़ौफ़ज़दा होकर बाहर झाँक रही थीं।
"नीलोफर भाभी !!...मेरे होठ काँप उठे।
इतनी
खूबसूरत आँखें उनके अलावा और किसी की हो ही नही सकती। इन्हीं को देखकर तो मैंने जुबैद भाईजान से चुहल की थी उनके
निकाह वाले दिन।
"भाईजान ,भाभी की आँखें बिलकुल नीली गहरी झील जैसी है।आप इसमें खो
जाओगे....हमें आपको ढूँढने में काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।"
लेकिन
जुबैद भाईजान निकाह के कुछ दिन बाद ही दुबई जाकर वहाँ की चमचमाती दुनिया में ऐसे खोए कि नीलोफर भाभी
से किए सारे वादे भुला बैठे।काफी दिनों तक दुबई से शौहर के बुलावे का इंतज़ार करती
हुई नीलोफर भाभी राजरानी से नौकरानी कब बन गयीं किसी को पता न चला।
मैं
जब भी उनके घर जाती उन्हें हमेशा चेहरे पर उदासी की परत चढ़ाए हाड़तोड़ काम करती देखती रहती।
आज
इतने दिनों बाद उन्हें किसी गैर मर्द के साथ इस तरह होटल में!उफ़ !!
कुछ
देर बाद वही युवक जल्दी जल्दी मेरे पास आया और बोला कि वो एक जरुरी काम से बाहर जा
रहा है और उसके पीछे मैं उनकी मैडम का ध्यान रखूँ। मैंने उसे तसल्ली दी। मुझे मुँहमाँगी मुराद मिल गई थी।फूलों का एक प्यारा सा गुलदस्ता लेकर मैं
नीलोफर भाभी के कमरे की तरफ बढ़ गई।दरवाज़ा जैसे मुझे देखते ही खुल गया।सामने नीली
आँखों वाली नीलोफर भाभी बुत बनी खड़ी थी।
"मुझे पता था सना,मुझे यूँ देखकर तेरे दिमाग में कई सवाल उठ रहे
होंगे।इसलिए मैंने जफर को बाहर भेज दिया किसी काम से।मुझे पता नही था कि तू यहाँ
काम करती है।" चेहरे पर निश्चिंतता के भाव लिए वह बोली।
मैं
निरुत्तर होकर अपने दिमाग में सही गलत का विश्लेषण करती हुई दरवाज़ा खोलकर कॉरिडोर
में आ गई । अचानक पीछे से नीलोफर भाभी ने पुकारा-- "सना, अगले हफ्ते हम निकाह कर रहे
हैं। जुबैद को मैंने तलाकनामा भिजवा दिया है।"
सम्पर्कः 596, अनुभव, उद्यान ll, एल्डिको
कॉलोनी, डी
पी एस स्कूल के सामने, राय
बरेली रोड, लखनऊ
E-mail- malajhafantastic@gmail.com
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