भेद-भाव को मेटता होली का त्योहार
- डॉ.
रूपचन्द्र शास्त्री ‘मयंक’
फागुन में नीके लगें, छींटे औ' बौछार।
सुन्दर, सुखद-ललाम है, होली का त्योहार।।
शीत विदा होने लगा, चली बसन्त बयार।
प्यार बाँटने आ गया, होली का त्योहार।।
पाना चाहो मान तो, करो मधुर व्यवहार।
सीख सिखाता है यही, होली का त्योहार।।।
रंगों के इस पर्व का, यह ही है उपहार।
भेद-भाव को मेटता, होली का त्योहार।।।
तन-मन को निर्मल करे, रंग-बिरंगी धार।
लाया नव-उल्लास को, होली का त्योहार।।।
भंग न डालो रंग में, वृथा न ठानो रार।
देता है सन्देश यह, होली का त्यौहार।।
छोटी-मोटी बात पर, मत करना तकरार।
हँसी-ठिठोली से भरा, होली का त्योहार।।।
सरस्वती माँ की रहे, सब पर कृपा अपार।
हास्य-व्यंग्य अनुरक्त हो, होली का त्योहार।।।
1 comment:
आभार उदन्ती डॉट काम के व्यव्स्थापकों का।
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