बिटिया
कमला निखुर्पा
1
पाती सहेली
गाती हवा के संग
खोई रे कहाँ।
2
डाल -डाल पे
पूछती फिरे पता
पगली हवा।
3
डरी पत्तियाँ
काँपी थरथराई
पीली हैं पड़ी।
4
मानता नहीं
निगोड़ा पतझर
गिराके छोड़े।
5
छुपाए तन
डालियों की ओट ले
सहमा तरु।
6
बदले रुत
जाएगा पतझर
हँसेगी कली ।
7
गाएगी पाती
मर्मर के स्वर में
जीवन- गीत।
8
शब्दों की नाव
संग- संग तिरते
नन्हे से भाव।
9
जीवन जंग
तुम संग रहना
हारूँगी नहीं।
10
तुमने बाँधी
जो हिम्मत की डोर
टूटे ना कभी।
11
छू के भागी है
नटखट- सी हवा
उड़ी चुनरी ।
12
छलक गई
यादों की गगरिया
भीगा जीवन।
13
आँखमिचौली
सुख और दुख से
हार के जीती।
14
जलाती रही
चुनौतियों की आँच
कुंदन हुई।
15
खुले कपाट
अंतस् चेतना के जो,
फैला उजास।
16
मैं रो पड़ी माँ,
भीग गया होगा ना
तेरा आँचल?
17
मौन हो तुम
चुपचाप लोरियाँ
सूनी दुनिया।
18
कैसी दीवार
तुझ तक न जाए
मेरी पुकार।
19
उलझ गए
सारे रिश्तों के धागे
सुलझाओ माँ।
20
भेजी रब ने
एक दिन बिटिया
मेरी गोद में।
21
पायल बाँधे
छम-छम करती
तोतली बोली।
22
बीते बरस,
बचपन भी बीता
गुडिया खोई।
23
मेंहँदी रची
बिटिया के हाथों में
डोली भी सजी।
24
छलका गई
भर आँसू के प्याले
बाबुल-गली।
25
सूना है घर
सूनी मैया की आँखें
बाट निहारे।
26
ढूँढ़े अखियाँ-
नटखट गुडिय़ा
खोई कहाँ रे?
27
ढूँढ़े है मैया
वो नन्ही-सी गुडिय़ा,
आले पे पड़ी।
28
हाथों में लेके
दुलारे -पुचकारे
खिलौने को माँ।
29
सीने से लगाबेजान खिलौने को
रोए- बिलखे।
30
भीगा आँचल
भीग गई गुडिय़ा
देहरी भीगी।
सम्पर्क: प्राचार्या, केन्द्रीय विद्यालय नं -2, कृभको, सूरत-
गुजरात- 384515
2 comments:
Gagar mai sagar bhar diya aapne....aadbhut !!
Gagar mai sagar bhar diya aapne....aadbhut !!
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