मन के दीए
-डॉ. भावना कुँअर
1
दीप -कतारें
चमकीले
सितारे
अँधेरा
हारे।
2
चाँद
बेचारा
देख
दीपशिखाएँ
मुँह
छुपाए।
3
मनकेदीए
जब
मित्रों ने छुए
रौशन
हुए।
-0-
-डॉ
हरदीप सन्धु
1
दीवाली रात
दीप बने बाराती
झूमे आँगन।
2
मिट्टी का दिया
चप्पा -चप्पा बलता
बिखरती लौ।
3
दीवट दिया
भीतर औ बाहर
घर रौशन।
-0-
-अनिता
ललित
1
चलो जलाएँ
बूढ़ी ,सूनी आँखों में
आस के दीप।
2
साथ तुम्हारा
जीवन सँवारता
करे उजाला।
3
तुम जो आए
अँधेरे जीवन में
रौशनी लाए।
-0-
-ज्योत्स्ना
प्रदीप
1
रात में भोर
दीपों का जमघट
क्रांति की ओर ।
2
न जात-पात
न देखे दिन-रात
दीप तो जले ।
3
सहमा तम
दीपक तले छुपा
कुछ रूआँसा ।
-0-
-सुभाष
लखेड़ा
1
जलाएँ दीये
अज्ञान जो मिटाएँ
सबके लिए।
2
रोशनी मिले
दिवाली को उन्हें
चाहिए जिन्हें।
3
चेहरे खिलें
दीप से दीप जलें
जब भी कहीं।
-0-
-गुंजन अग्रवाल
1
जी भर
जिया
बुझने से
पहले
नन्हा-
सा दीया ।
2
नेह की
बाती
अँधेरे
को समेट
बाहें
फैलाती ।
3
फैला
प्रकाश
कुम्हार का
सृजन
नन्हा -सा सूर्य ।
-0-
-डॉ.सुरेन्द्र
वर्मा
1
फूटी किरणें
स्नेह- भरे दीपों की
फूटे अनार ।
2
खुशियाँ लाई
यह अमा की रात
जगमगाई ।
3
स्नेह उड़ेलो
स्वयं ही बनो दीप
उजियारा दो ।
-0-
-कृष्णा
वर्मा
1
दीप -वर्तिका
तिल-तिल जलके
बाँटे प्रकाश।
2
दीया औ बाती
अमा का स्याह तन
उजला बनाती।
-0-
-रेखा
रोहतगी
1
करे संघर्ष
हवा से नन्हा दीया
फैलाए हर्ष ।
4 comments:
सभी हाइकु अतिसुन्दर।
भावना जी, हरदीप जी, ज्योत्स्ना जी, सुभाष जी,गुंजन जी, डॉ सुरेन्द्र जी, कृष्णा जी, रेखा जी आप सभी को हार्दिक बधाई !
मेरे हाइकु को स्थान देने का ह्रदय से आभार रत्ना जी !
~सादर
अनिता ललित
सभी हाइकू बेहतरीन ..सभी रचनाकारों को हार्दिक बधाई :)
Sabhi haiku manbhavan
सभी हाइकु बहुत अच्छे लगे...| भावप्रवण और सामयिक हाइकु के लिए सभी हाइकुकारों को हार्दिक बधाई...|
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