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Jul 1, 2023

क्षणिकाएँः प्रेम








  -  पारुल हर्ष बंसल

1

प्रेम कब आया

कब गया

इसका भान ही ना हुआ

इसके पाँव में घुँघरू

बँधे होने चाहिए

2

प्रेम को प्रेम ही रहने दो

व्यापार के लिए और

बहुत कुछ है

3

प्रेम पगी बातें हैं

कहीं अधिक मिश्री से भी मीठी

आशंका है श्रवण मात्र से

मधुमेह की

4

 प्रेम है या नहीं

इसका निर्धारण उतना ही कठिन

जितना दर्पण की सच्चाई

5

प्रेमपाश में बंदी को

उम्रकैद नसीब होना

ईश्वर की झोली में

छेद हो जाने -सा है

6

 छोटी बच्ची को

खिलखिलाते देख

प्रेम ने खुद पर नाज़ किया

मैं अभी जिंदा हूँ.....

7

प्रेम ने मुझे 

इस तरह पोसा

अब काँधे पर ही 

बिठा लिया है.....

8

प्रेम बिन जिया जो, 

वो क्या जिया

काबिले- तारीफ तो वो है

जो प्रेम की सभी अवस्थाओं

संग जिया....

9

प्रेम ने सुनी 

सिसकी कानों से

और आ गया 

आँखों के रास्ते से


3 comments:

विजय जोशी said...

बहुत ही सुंदर भाव एवं अभिव्यक्ति।

Anonymous said...

एक से बढ़कर एक सुंदर क्षणिकाएं, बधाई पारुल

मुकेश कुमार सिन्हा said...

प्रेम की खूबसूरत दरिया बह गई