उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Mar 1, 2023

कविताः 8 मार्च महिला दिवस - नारी तो सृजन है

 - प्रणति ठाकुर

नारी तो सृजन है ।

है पिता के स्नेह और

माँ की मधुर ममता से सिंचित,

वो तो उनकी कल्पना और

प्रेम का सुन्दर मिलन है ।

नारी तो सृजन है ।

 

माँ, बहन, बेटी, सखी,

सहधर्मिणी और प्रेयसी है,

सुरचित, सुन्दर नीड़ की

निर्मात्रि, सुखदा, श्रेयसी है,

वो तो स्वप्नों का सदन है।

नारी तो सृजन है ।

 

कल के सुन्दर स्वप्न को

अपने रुधिर से सींचती है,

विघ्न -बाधाओं से भिड़

उसको हृदय से भींचती है,

देवदारु और वटवृक्षों की

वो जननी, भुवन है ।

नारी तो सृजन है ।

 

है सदा उपेक्षिता

उत्पीड़िता और शोषिता वो,

स्वप्न के अपने सदन से,

है सदा निर्वासिता वो,

वो तो अपने सद्विचारों, संस्कारों

का रुदन है ।

नारी तो सृजन है!

नारी तो सृजन है!!

1 comment:

शिवजी श्रीवास्तव said...

सुंदर भावों से परिपूर्ण कविता।प्रणति ठाकुर जी को बधाई।