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Nov 17, 2018

कौन चढ़ाता है हमें

कौन चढ़ाता है हमें
सुशील यादव
क्यों माथा है पीटता, करता कहाँ मलाल
वोटर तेरे गाल में, मलता नहीं गुलाल
कौन चढाता है हमें, कोमल-नाजुक झाड़
खुद है हमको नापना, घाटी और पहाड़
रंगों में घुलती रही, शनै-शनै ही भंग
आसमान कटती रही, तानी हुई पतंग
छोडो भूली याद को, गुजरा समय प्रसंग
साथ एक फागुन गया, दूजा सावन संग
आते कल की फिर सुनो, ध्यान लगा संकेत
पछताना क्या देख के, चुगती चिड़िया खेत
सम्पर्कः न्यू आदर्श नगर दुर्ग (छत्तीसगढ़ )

राह दिखाता रहा
सलिल सरोज 
वो गया दफ़अतन कई बार मुझे छोड़के 
पर लौट कर फिर मुझ में ही आता रहा 

कुछ तो मजबूरियाँ थी उसकी अपनी भी
पर चोरी-छिपे ही मोहब्बत  निभाता रहा 

कई सावन से तो वो भी बेइंतान प्यासा है 
आँखों के इशारों से ही प्यास बुझाता रहा 

पुराने खतों के कुछ टुकड़े ही सही, पर 
मुझे भेज कर अपना हक़ जताता रहा 

शमा की तरह जलना उसकी फिदरत थी 
पर मेरी सूनी मंज़िल को राह दिखाता रहा 

सम्पर्कः B 302 तीसरी मंजिल, सिग्नेचर व्यू अपार्टमेंट
मुखर्जी नगरनई दिल्ली-110009 Mail: salilmumtaz@gmail.com

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