उदंती.com को आपका सहयोग निरंतर मिल रहा है। कृपया उदंती की रचनाओँ पर अपनी टिप्पणी पोस्ट करके हमें प्रोत्साहित करें। आपकी मौलिक रचनाओं का स्वागत है। धन्यवाद।

Nov 17, 2018

दो लघुकथाएँ

1.स्पीड
-रोचिका शर्मा
अस्पताल से फोन आया आपका बेटा यहाँ एमर्जेंसी वार्ड में एडमिट है।
आशीष अस्पताल पहुँचा, बेटा  अंतिम साँसें ले रहा था।
सिर्फ इतना ही बोल पाया स्पीड नहीं पापा, स्पीड नहीं, सबसे आगे नहीं, सबसे मिलजुल कर सबको साथ में लेकर ही जिया जा सकता है, मैं सब से आगे निकलने लगा था, पूरी दुनिया को पीछे छोड़ देना चाहता था। पर अब दुनिया छोड़ रहा हूँ पापा, मेरी बाइक की स्पीड बहुत ज्यादा थी।
नहींआशीष चीख पड़ा...
उसे मन ही मन अपने कहे शब्द कचोटने लगे वाह बेटा तुम परीक्षा में सब से अव्वल आये हो।
वह बेटे की पीठ थपथपा कर बोला था बेटा छोड़ दो इस दुनिया को पीछे, सबसे आगे निकल जाओ 
लेकिन आज उसे अहसास हो रहा था काश उस ने यह भी समझाया होता सभी जगह स्पीड उचित नहीं...
2. चुग्गा
आप तो गजब की खूबसूरत हैं, आप की जगह
इस छोटे से दफ्तर में नहीं फिल्म इंडस्ट्री में होनी चाहिए, बस दो चार विज्ञापनों में काम कर लीजिये, ज़रा लोगों की नज़रों में आ जाएँ उस के बाद देखिये एक के बाद एक फ़िल्में  साइन करते आप के हाथ न थक जाएँ तो 
एड एजेंसी वाले मिस्टर बत्रा की बात सुनकर खुशबू मन ही मन मुस्कुरा उठी थी, आते-जाते बस आईने में ही अपनी सूरत देखती रहती।
एक दिन बोली मिस्टर बत्रा ,चलिए छोड़ दी नौकरी, अब बस आप की मेहरबानी होतो फ़िल्मी दुनिया में काम मिल जाए 
कहाँ से लगती है यह तुम्हें फ़िल्मी दुनिया के लायक और क्यूँ तुम इसे फ़िल्में दिलवाना चाहते हो ? मिसेज़ बत्रा ने धीरे से पूछा ।
अररररे पगली ऐसे थोड़ी,पहले अपने अगले विज्ञापन में मुफ्त में काम करवाएँगे। कुछ दिनों बाद यही तारीफ़ का चुग्गा इस जैसी किसीऔर सुन्दरी को डाल देंगे।हमें तो अपनी एड एजेंसी चलानी है कम खर्चे में और क्या । इस जैसी न जाने कितनी लड़कियाँ  हिरोइन बनने के चक्कर में पहले विज्ञापन फिल्मों में काम करती हैं तो हम क्यूँ न फ़ायदा उठायें ?” पर पहले तारीफ़ का चुग्गा तो डालना पड़ता है न....
 Mail Id- sgtarochika@gmail.com

No comments: