मासिक वेब पत्रिका उदंती.com में आप नियमित पढ़ते हैं - शिक्षा • समाज • कला- संस्कृति • पर्यावरण आदि से जुड़े ज्वलंत मुद्दों पर आलेख, और साथ में अनकही • यात्रा वृतांत • संस्मरण • कहानी • कविता • व्यंग्य • लघुकथा • किताबें ... आपकी मौलिक रचनाओं का हमेशा स्वागत है।

May 16, 2014

दो बाल कविताएँ

1. वर्षा की पहली फुहार

- नवनीत वैष्णव

वर्षा की पहली फुहार
कर रही है पुकार
देखो वर्षा आयी है
ढेरों खुशियाँ लायी है।

वर्षा में ही रक्षाबन्धन
वर्षा में हरियाली
वर्षा से ही तो आती है
दुनिया में खुशहाली।

2. होली के रंग

होली के दिन सभी लोग थे,
रंगों से सराबोर
एक-दूजे को रंग लगाते
और मचाते शोर।
बच्चों ने रंग घोला था
एक बड़े से हौज में
इनकी तो तुम बात छोड़ दो
बूढ़े भी थे मौज में।

मारें भर-भर कर पिचकारी
और मारें गुब्बारे
जो थे दुश्मन सालों से
वे गले मिले थे सारे।

होली का तो पर्व ही ऐसा
जोड़े सबका नाता
इसीलिए तो सब लोगों के 
मन को है यह भाता।

No comments:

Post a Comment