- नवनीत वैष्णव
वर्षा की पहली फुहार
कर रही है पुकार
देखो वर्षा आयी है
ढेरों खुशियाँ लायी है।
वर्षा में ही रक्षाबन्धन
वर्षा में हरियाली
वर्षा से ही तो आती है
दुनिया में खुशहाली।
2. होली के रंग
होली के दिन सभी लोग थे,
एक-दूजे को रंग लगाते
और मचाते शोर।
बच्चों ने रंग घोला था
एक बड़े से हौज में
इनकी तो तुम बात छोड़ दो
बूढ़े भी थे मौज में।
मारें भर-भर कर पिचकारी
और मारें गुब्बारे
जो थे दुश्मन सालों से
वे गले मिले थे सारे।
होली का तो पर्व ही ऐसा
जोड़े सबका नाता
इसीलिए तो सब लोगों के
मन को है यह भाता।
मन को है यह भाता।
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