मोहनदास का साहस
-डॉ. बलराम अग्रवाल
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महात्मा गाँधी- वयोवृद्ध अवस्था
मोहनदास- महात्मा गाँधी के बचपन की भूमिका, उम्र 13-14 साल
बालक 1- वयोवृद्ध गाँधी जी की लाठी पकड़कर आगे चलने वाला बालक। उम्र 8-9 साल
बालक 2 व 3- वयोवृद्ध गाँधी जी के पीछे-पीछे चलने वाले बालक। प्रत्येक की उम्र 8-9 साल
मिस्टर जाइल्स - अंग्रेज इंस्पेक्टर ऑफ स्कूल्स, (यह पात्र अंग्रेज होने के नाते 'ब’को 'भ’, 'क’को 'ख’, 'ग’को 'घ’, 'ट’को 'ठ’तथा 'त’को 'ट’जैसा बोलता है।)
अध्यापक- मोहनदास की कक्षा का अध्यापक
कक्षा में बैठाने के लिए समान आयु-वर्ग के अन्य बालक आवश्यकतानुसार।
नोट- गाँधी जी के बचपन के समय में सहशिक्षा का चलन सामान्यत: नहीं था ;इसलिए एकांकी निर्देशक गाँधी जी की कक्षा या स्कूल में छात्राओं या अध्यापिकाओं की उपस्थिति न दिखाएँ तो बेहतर रहेगा।
स्थान-स्कूल की एक कक्षा
मंच पर धीरे-धीरे प्रकाश फैलना शुरू होता है। मंद प्रकाश में छोटे बालकों की एक कक्षा का दृश्य दिखाई देता है, जिसमें कुछ बच्चे चार पंक्तियों में बैठे कुछ लिख या चुपचाप कुछ पढ़ रहे हैं। अध्यापक पंक्तियों के बीच वाली खाली जगह में आगे से पीछे, पीछे से आगे चक्कर लगा रहा है। तभी, बूढ़े गाँधी जी की लाठी का एक सिरा हाथ में पकड़े आठ-नौ साल का एक बालक मंच के बायीं ओर से दायीं ओर को चलता दिखाई देता है। उसी उम्र के दो एक अन्य बालक उनके पीछे भी चल रहे हैं। उनका प्रवेश होते ही कक्षा में बैठे छात्र और अध्यापक भी, फ्रीज हो जाते हैं।
गाँधी जी (आगे चल रहे बालक से)- बचपन की एक घटना याद आकर बार-बार मुझे हँसा रही है आज।
बालक 1- कौन-सी घटना बापू जी?
गाँधी जी- मैं उन दिनों नवीं कक्षा का छात्र था। परीक्षा के दिनों की बात है।
बालक 2- पढऩे-लिखने में तो आप बचपन से ही तेज़ रहे होंगे बापू जी!
बालक 3 (उसे फुसफुसाकर टोकते हुए)- बीच में मत टोको- बोलने दो।
गाँधी जी (चलते-चलते ही पूर्ववत् बोलते हैं)- आप भी उन्हें बीच में मत टोको, बोलने दो। गाँधी के पास से मन की बात मन में लेकर नहीं जाता है कोई भी।
बालक 3- माफी चाहता हूँ बापू जी (बालक 2 से) आपसे भी किशोरी भाई जी।
गाँधी जी (चलते-चलते रुक जाते हैं और बालक 2 की बात का जवाब देते हैं)- आपका यह अनुमान थोड़ा ग़लत है किशोरी बेटे। मैं पढ़ाई-लिखाई में तेज़ नहीं रहा। हाँ, सीधा और शर्मीला ज़रूर रहा। अपने साथ पढऩे वाले लड़कों के साथ या अपने अध्यापकों के साथ कभी भी शरारत नहीं करता था। स्कूल में अच्छे व्यवहार का प्रमाणपत्र हमेशा मेरे हिस्से में आता था। समय हो जाने पर तीर की तरह घर से स्कूल और छुट्टी हो जाने पर तीर की तरह ही स्कूल से घर बीच में किसी से कोई बात नहीं। किसी को दोस्त बनाते हुए बहुत डरता था। कोई अपनी ओर बुलाता तो सोचता था कि यह मज़ाक उड़ाएगा मेरा। जाता नहीं था उसके पास।
बालक 2 - अच्छे व्यवहार का प्रमाणपत्र!
गाँधी जी - हाँ। तो बचपन की जिस बात को याद करके बार-बार हँसी आ रही थी, वह सुनो-(इसी के साथ वे पूर्ववत्चलने लगते हैं और चलते-चलते ही बोलते हैं) उन दिनों हमारे इलाके के स्कूलों के इंस्पेक्टर होते थे मिस्टर जाइल्स। अंग्रेज थे। एक दिन वे मुआयना करने को स्कूल में आ गए। सारे स्कूल में घूम आने के बाद वे हमारी कक्षा में आए।
इस संवाद के साथ ही गाँधी जी तीनों बालकों सहित मंच के दाएँ दरवाजे से बाहर चले जाते हैं तथा मिस्टर जाइल्स मंच पर प्रवेश करते हैं। इसी के साथ कक्षा में बैठे बच्चे सक्रिय हो उठते हैं। अध्यापक भी घूमना शुरू कर देता है।
मिस्टर जाइल्स (कक्षा मे दरवाजे पर खड़े होकर) - हलो एव्री बडी!
उनकी आवाज़ सुनकर कक्षा में चक्कर काट रहा अध्यापक एकाएक रुककर हाथ जोड़कर उनका अभिवादन करता है।
सभी बच्चे भी अपने स्थान पर खड़े होकर बोलते हैं - गुड मार्निंग सर!
मिस्टर जाइल्स (प्रफुल्लित स्वर में) - वेरी-वेरी-वेरी गुड मार्निंग ठु यू आल आप सब को सुबह का नमस्टे सिट डाउन प्लीज़ बइठ झाइए।
सभी बच्चे अपनी-अपनी जगह पर बैठ जाते हैं।
मिस्टर जाइल्स (अध्यापक से) -आपका ख़्लास ख़ैसा छल रहा हय मिस्ठर ठीचर?
अध्यापक- बहुत अच्छा चल रहा है सर। सभी बच्चे होशियार हैं सबक याद करके लाते हैं।
मिस्टर जाइल्स- ख्या में इनखा छोठा -सा एक ठेस्ठ ले सकटा हय?
अध्यापक- क्यों नहीं सर ज़रूर। (बच्चों को सम्बोधित करते हुए) सभी बच्चे अपने-अपने बस्ते से कॉपी-पेंसिल निकाल लें डिप्टी साहब आपका टेस्ट लेंगे।
मिस्टर जाइल्स- सुनो बच्चा लोग, अम फाइव वर्ड्स अंग्रेजी का बोलेगा और हर खरेक्ट वर्ड के लिए वन पाइंट देगा। स्फैलिंग घलट मीन्स वन पाइंट खलास एंड सॉरी मिस्ठर ठीचर ये ठेस्ठ बच्चा लोगों खा नईं आपखा है बच्चा लोगों खा पाइंट खम मीन्स आपखा पढ़ाने में खमजोरी ओ? खे??
अध्यापक- ओ? के? सर।
मिस्टर जाइल्स- शुरू खरें ?
अध्यापक (सभी बच्चों से)- सभी बच्चों ने अपनी-अपनी कॉपी-पेंसिल निकाल ली?
सभी छात्र- यस सर।
अध्यापक- डिप्टी साहब बोलना शुरू करें?
सभी छात्र- यस सर।
अध्यापक (मिस्टर जाइल्स से) - बच्चे तैयार हैं सर।
मिस्टर जाइल्स - सुनो बच्चा लोग, हर वर्ड खो ढ्यान से सुनेगा, सोछे-समझेगा, ठब लिखेगा। साफ-साफ और सही लिखेगा, ओ? खे??
(यों कहते हुए मिस्टर जाइल्स कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है। अध्यापक बच्चों के बीच चक्कर लगाता उन्हें देखता रहता है।)
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- लिखिए खाइट आपखे याँ का फटंग या छील
सभी बच्चे लिखना शुरू करते हैं। अध्यापक हर बच्चे के निकट से गुजरता हुआ बड़े गौर से उसकी कॉपी को देखता-सा कक्षा में घूमता रहता है। मिस्टर जाइल्स द्वारा बोले गये शब्द को लिखकर छात्र सामने की ओर देखने लगते हैं। मिस्टर जाइल्स पूछता है।
मिस्टर जाइल्स- शब बच्चा लोगों ने लिख लिया?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- नेक्स्ट वर्ड बोला झाए?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- लिखिए खिछेन आपखे याँ का रशोई
(सभी बच्चे लिखना शुरू करते हैं। अध्यापक पहले की तरह ही हर बच्चे के निकट से गुजरता हुआ उसकी कॉपी को देखता-सा कक्षा में घूमना जारी रखता है। शब्द को लिखकर छात्र सामने की ओर देखने लगते हैं। मिस्टर जाइल्स पूछता है।)
मिस्टर जाइल्स- शब बच्चा लोगों ने लिख लिया?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- नेक्स्ट वर्ड बोला झाए?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- लिखिए खैटल आपखे याँ का छाय रखने का बरटन
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मिस्टर जाइल्स- शब बच्चा लोगों ने लिख लिया?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- नेक्स्ट वर्ड बोला झाए?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- लिखिए खी आपखे याँ का छाबी टाले में लगाने वाला खी
बच्चे लिखना शुरू करते हैं लेकिन अध्यापक इस बार मोहनदास वाली पंक्ति में ही वापस लौटता है और उसके पैर में अपना पैर मारता है। मोहनदास द्वारा उसकी ओर देखने पर पहले की तरह ही इशारा करता है कि वह पड़ोसी छात्र की कॉपी से अपने तीसरे शब्द के हिज्जे चैक कर ले; लेकिन मोहनदास उसकी बात को नज़र अन्दाज़ करके अगले शब्द के इंतज़ार में मिस्टर जाइल्स की ओर देखने लगता है। मिस्टर जाइल्स पूछता है।
मिस्टर जाइल्स- शब बच्चा लोगों ने लिख लिया?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- नेक्स्ट वर्ड बोला झाए?
सभी छात्र- यस सर।
मिस्टर जाइल्स- लिखिए खिंगढम यानी खे राजढानी
(बच्चे लिखना शुरू करते हैं और अध्यापक एक बार पुन: मोहनदास के पैर में अपना पैर मारकर इशारा करता है कि वह कैटल के हिज्जे अपने पड़ोसी छात्र के हिज्जों से नकल करके ठीक कर ले; लेकिन मोहनदास अध्यापक की ओर से नीरस ही बना रहता है और पड़ोसी बच्चे की ओर देखता भी नहीं है।)
मिस्टर जाइल्स (अध्यापक से)- मिस्टर ठीचर!
अध्यापक- यस सर!
मिस्टर जाइल्स- सभी बच्चा लोगों से अफना-अफना खॉफी लेखर बारी-बारी इदर आने को बोलो।
अध्यापक- यस सर! (अपने आप से) मोहनदास बायीं कतार में बैठा है और इसका नम्बर कुछ ही बच्चों के बाद आ जाएगा। ऐसा करता हूँ कि दाईं कतार के बच्चे को मिस्टर जाइल्स के पास भेजना शुरू करता हूँ। (दाईं कतार के सभी बच्चों से) आप सब अपनी-अपनी कॉपी लेकर खड़े हो जाइये और बारी-बारी से डिप्टी साहब के पास जाइए।
सभी बच्चे अध्यापक की आज्ञा का पालन करते हुए मिस्टर जाइल्स के पास जाते हैं। मिस्टर जाइल्स सभी बच्चों की कॉपी चेक करता हुआ 'व्हेरी घुड’व्हेरी घुड’बोलता रहता है। पहली कतार के बाद अध्यापक दूसरी कतार के बच्चों को खड़ा करता है और उसके बाद तीसरी व चौथी कतार के बच्चों को। इस तरह मोहनदास सबसे अन्त में अपनी कॉपी लेकर मिस्टर जाइल्स के सामने पहुँचता है। अध्यापक उसके जाते ही शर्म से दूसरी ओर मुँह करके खड़ा हो जाता है।
मिस्टर जाइल्स- ओफ व्हेरी सेड। ख्या नाम है टुमारा?
मोहनदास- जी मो मोनिया
मिस्टर जाइल्स- मोनिया!
मोहनदास- नो नो सर यह मेरा घर का नाम है
मिस्टर जाइल्स- घर का नाम!
मोहनदास- यस सर। स्कूल का नाम मोहनदास करमचंद गाँधी।
मिस्टर जाइल्स- घुड नेम। व्हेरी घुड नेम। मोहनडास, पूरा ख्लास ने फाँचों वर्ड्स का स्फेलिंग ठीक लिखा हय। खेवल आफका एक स्फेलिंग घलट हय। 'खेटल’का स्फेलिंग आफने खे, ई, ढबल ठी, ई, एल लिखा हय; लास्ट में ई, एल नहीं होटा बल्खि एल, ई होटा हय अण्डरस्टैंड?
मोहनदास - यस यस सर।
मिस्टर जाइल्स - फूरा ख्लास को फाइव आउट ऑफ फाइव फॉइंट मिला हय और आफखो फोर आउट ऑफ फाइव। गो, ठेक खेयर इन फ्यूछर। (यों कहता हुआ मिस्टर जाइल्स खड़ा हो जाता है और अध्यापक से कहता है) ओ? खे? मिस्ठर ठीचर एक खे अलावा सब अच्छा हय, घुड फरफार्मेंस।
अध्यापक- थैंक्यू सर। मैं उस पर भी मेहनत करूँगा।
मिस्टर जाइल्स चला जाता है। अध्यापक अपनी कुर्सी पर जाकर बैठ जाता है और क्रोधपूर्वक मोहनदास को पुकारता है।
अध्यापक- मोहनदास! इधर आ, इधर आ।
मोहनदास अपनी जगह से उठकर बिना झिझक या डर अध्यापक के निकट आ खड़ा होता है।
अध्यापक- तेरी तरह कूड़-मगज़ होती तो आधी क्लास ज़ीरो ही ला पाती आज। अरे गोबर गणेश रिस्क लेकर मैंने कितनी बार तुझे इशारा किया और तू है कि एक बार भी मेरा इशारा नहीं समझ सका।
अध्यापक- (डाँटने के अंदाज़ में) क्या लेकिन?
मोहनदास- प्रार्थना-सभा के बाद रोज़ाना हमें आप ईमानदार रहने का, झूठ न बोलने का, किसी की कोई चीज़ न चुराने का, परीक्षा में नकल न करने का प्रवचन देते हो। मैंने जीवनभर आपकी शिक्षा पर ही चलने की कसम खाई है ; इसीलिए आपके बार-बार टोकने के मतलब को समझकर भी नकल के लिए इधर-उधर देखना उचित नहीं समझा।
मोहनदास की यह बात सुनकर अध्यापक उसकी ओर देखता रह जाता है। काफी देर तक वह उसकी ओर देखता रहता है, फिर भावविभोर हो उठता है। मोहनदास को खींचकर गले से लगा लेता है।
अध्यापक- शाब्बास मेरे बच्चे! तूने मेरी आँखें खोल दीं आज। थोड़ी देर के लिए मैं डर गया था कि इंस्पेक्टर साहब के सामने बेइज़ती न हो जाए। मैं यह भूल गया था कि गुरु और माता-पिता की असली बेइज़ती तो विद्यालयों और घरों में अपने अहंकार की अपनी पोजीशन की रक्षा के लिए बेईमान, झूठे, मक्कार और चोर बच्चों का विकास करना है। तू और तेरा यह साहस मुझे जीवनभर याद रहेगा। असल में, सबसे ज्यादा पाइंट आज तुझे ही मिले हैं मोहनदास मेरा आशीर्वाद!
(अध्यापक के आशीर्वचन के साथ ही प्रकाश सिमटकर स्पॉट लाइट के रूप में मात्र इन दोनों पर सिमट आता है। सामने से वयोवृद्ध गाँधी जी की लाठी का सिरा थामे बालक-1 और उनके पीछे बालक-2 व बालक-3 मंच के दायें छोर से बायें छोर की ओर निकल जाते हैं। नेपथ्य से भजन सुनाई देता है-)
एकल पुरुष स्वर- ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।
स्त्री-पुरुषों का
सम्मिलित स्वर- ईश्वर अल्ला तेरो नाम, सबको सन्मति दे भगवान।
यह भजन दोहराया जाता रहता है। मंच पर धीरे-धीरे प्रकाश मंद होता जाकर अंधकार हो जाता है।
सम्पर्क: एम-70, नवीन शाहदरा, दिल्ली-110032, मो.0918826499115
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