डॉ .ज्योत्स्ना शर्मा
1.
मंत्र समय का मान भी जाओ
श्रम से जीवन सफल बनाओ ।
चुनकर लाती तिनका-तिनका
नन्हीं चिड़िया नीड़ बनाती ,
फूल-कली से रस ले-ले कर
मधुमक्खियाँ घट भर लाती ।
तुम भी अक्षर-अक्षर चुनकर ,
ज्ञान -सुधा सागर बन जाओ ।।
कृषक खेत में बहा पसीना
सोने जैसी फसल उगाते ,
सर्दी ,गरमी ,बरखा सहते
तब जाकर मीठा फल पाते ।
काँटों में भी खिलो फूल- सा ,
खुद महको ,जग को महकाओ ।।
शीतल नदिया कल-कल करती
चट्टानों में भी बहती है ,
बाधाएँ आएँगीं , बढ़ना
कभी न रुकना ही कहती है ।
पल-पल रहकर पल के प्रहरी
बढ़ो, सभी को साथ बढ़ाओ ,
मंत्र समय का मान भी जाओ
श्रम से जीवन सफल बनाओ ।।
बात बताओ
बात बताओ चन्दा मामा,
बात बताओ
कैसे पहनोगे पाजामा।
आऊँगा मैं पास तुम्हारे
फिर देखूँगा खूब नज़ारे।
कहाँ कातती बुढिय़ा दादी
पहने चमकीली- सी खादी।
तुम सूरज के छोटे भैया
बहकाती थीं मुझको मैया।
मैंने उनको भेद बताया
सूरज ने इनको चमकाया।।
सम्पर्क: टावर एच -604, प्रमुख हिल्स, छरवडा रोड, वापी, जिला, वलसाड (गुजरात) -396191, Email- jyotsna.asharma@yahoo.co.in
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