
-भावना सक्सैना
1
मन-बंजारा
भटके हर दिन
खोज खुशी की।
2
मन के पाखी
उड़ें अनियंत्रित
तन में कैद।
3
धूप साँझ की
सींचती अन्तर्मन
यादें जीवन।
4
नर्म आँचल
धूप गुनगुनी-सी
माँ की ममता।
5
बुहारा हुआ
आसमान साँझ का
सुखद दृश्य।
6
ऊँचा शिखर
उस पर जो चढ़ा
बस एकाकी।
7
महान गिरि
कण-कण से बना
कण को भूला।
8
उड़ती खुशी
नीली तितली सम
कैसे पकड़ें?
9
निशा उतारे
चूनर तारों-भरी
आए प्रकाश।
10
नवल गात
पहन भोर आई,
खिला संसार।
11
तेरे होने से
जीवन में उजाला
खिलती खुशी।
12
उतरी साँझ
निशा- दामन फैला
तम ने सींचा।
13
देख दर्पण
आक्रांत हुआ मन-
बीता यौवन।
14
खाली है नीड़
अश्रुप्लावित मन
लुप्त जीवन।
15
बरसों बीते
गाँव की वे गलियाँ
नाम पूछतीं।
16
तुम लाए हो,
स्नेह-पूरित मन
पाया जीवन।
17
छप्पर नीचे,
चढ़ा है दुमंजिला
सिमटी धूप।
18
शान्त थी नदी
किनारों में जो बँधी
बहती रही।
19
आया था ज्वार
तोड़ सब सीमाएँ
मचल उठी।
20
सुख सुविधा
सब कुछ है पास
फिर भी प्यास।
21
ओस की बूँद
बस इक प्यारा पल
यही जीवन।
22
मन में बसे
वे मधुर बसंत
लौट न पाए।
23
जीवन-राह
समझौते अनंत
है अग्निपथ।
24
बिछुड़े अब
फिर कहाँ मिलेंगे
द्रवित मन।
संपर्क: 64,प्रथम तल, इंद्रप्रस्थ कॉलोनी, सेक्टर
30-33,फरीदाबाद, हरियाणा 121003
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