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Sep 22, 2010

जहां संकट मुक्ति के लिए मकबरे में मारे जाते हैं पांच जूते

करीब 500 साल पुराना यह मकबरा एक सुनसान जगह पर है, वहां आस-पास आबादी नहीं है। वह चारो तरफ से ऊंची नक्काशीदार दीवारों से घिरा है लेकिन ऊपर छत नहीं है।
विश्वास कहिए या अंधविश्वास पर उत्तर प्रदेश के इटावा जिले के एक मकबरे में अपनी जियारत के लिए लोग चप्पल- जूतों का इस्तेमाल करते हैं। यहां आने वाले जायरीन (श्रद्धालु) चप्पल- जूतों से मकबरे में बनी कब्र को पीटते हैं। इटावा के बाहरी इलाके दतवली में स्थित 'चुगलची का मकबरा' में जियारत का यह अनोखा तरीका सैकड़ों वर्षो से यहां चली आ रही है। और अब यह एक परंपरा बन गई है। इसके पीछे लोगों की मान्यता है कि इस अनोखी जियारत के जरिए वे सभी संकटों से मुक्त रहेंगे। करीब 500 साल पुराना यह मकबरा एक सुनसान जगह पर है, वहां आस-पास आबादी नहीं है। वह चारो तरफ से ऊंची नक्काशीदार दीवारों से घिरा है लेकिन ऊपर छत नहीं है। स्थानीय निवासी 71 वर्षीय ललई यादव कहते हैं- 'जब भी मैं इस रास्ते से गुजरता हूं तो रूककर चुगलची के मकबरे में पांच जूते मारता हूं। उनका दृढ़ विश्वास है कि ऐसा करने से बाधाएं टल जाती हैं। लोग यह भी कहते हैं कि जो व्यक्ति लगातार एक महीने तक नियमित रोज मकबरे पर जाकर जूते- चप्पलों से पिटाई करता है, उसके साथ- साथ उसके परिवार का भाग्य भी अच्छा हो जाता है।'
मकबरे में बनी कब्र पर जूते मारने की इस परंपरा के पीछे एक कहानी भी प्रचलित है। यहां के निवासी 72 वर्षीय जगदेव शाक्य ने बताया कि इटावा रियासत के राजा सुमेर सिंह के यहां एक भोलू सईद नाम का कर्मचारी हुआ करता था। वह एक बार निकटवर्ती राज्य मध्य प्रदेश की भिण्ड रियासत घूमने गया उस समय भिण्ड और इटावा के मध्य अच्छे राजनैतिक सम्बन्ध थे। बकौल शाक्य- भोलू ने रातों-रात धनवान बनने की चाह में भिंड के राजा के मन में वैमनस्यता के ऐसे बीज बो दिए जिसके बाद दोनों राजाओं के बीच युद्ध छिड़ गया और बहुत बड़े पैमाने पर लोग मारे गए। बाद में राजा सुमेर ने युद्ध के कारणों की समीक्षा की तो चुगलखोर की करतूत सामने आई। उन्हें यह भी पता चला कि वह आस-पास की दूसरी रियासतों के राजाओं के कान भरके उन्हें सेना से जुड़ी गुप्त सूचनाएं भेज रहा है।
एक और सज्जन वकील सिंह ने बताया कि राजा ने अपने अधिकारियों से चुगलखोरी के लिए सजा के तौर पर भोलू को जूतों से पीट- पीट कर मारने का आदेश दिया। बाद में भोलू को रियासत के बाहरी इलाके में दफना दिया गया। राजा के निर्देश पर भोलू का मकबरा बनावाया गया। राजा ने फरमान जारी किया जो भी उस रास्ते से गुजरेगा मकबरे में बनी कब्र पर पांच जूते मारेगा। इसके बाद से सिलसिला चल पड़ा जो आज भी जारी है।

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