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Oct 1, 2025

दो कविताएँ

 रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’

1.दीप क्या है? 

दीप क्या है, सिर्फ़ मिट्टी से बना है

यह उजालों की सही आराधना है।

 

एक चादर तान ली काली गगन ने

फिर भी सीना दीप का निडर तना है ।

 

आँसुओं की इस धरा पर क्या कमी

पर अधर से कब कहा-हँसना मना है।

 

यह मत कहो, टूटा न तम का दर्प है

टिमटिमाती लौ का संघर्ष ठना है।

 

ज्योति का यह रथ न रोके से रुकेगा

अँधेरों के हौसले भी देखना है।


आलोक की धारा, धरा पर बह उठी

हर आँख में आलोक ही आँजना है। 


2. दीपक जलते रहना

बहुत अँधेरा
दूर सवेरा
दीपक जलते रहना ।

छोटी बाती
एक न साथी
तुझको सब कुछ सहना ।


पथ अनजाना
चलते जाना
दुख न किसी से कहना ।

तुझको घर-घर
बनकर निर्झर
अँधियारो में बहना ।

1 comment:

  1. Anonymous06 October

    बहुत सुंदर संदेश देतीं प्रभावशाली कविताएँ। साधुवाद ।सुदर्शन रत्नाकर

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