- मधु बी. जोशी
पिता के साथ
आता था हरिद्वार
लाख के सुन्दर गिट्टों में
सुगढ़ गंगाजलियों में
लकड़ी के लुभावने खिलौनों
शंख की सुन्दर मालाओं में
प्रसाद भी लाते थे पिता
मीठे इलायचीदाने
फीके मुरमुरे
तुलसीदल और फूल
प्रसाद बड़े लोगों की चीज था
वे श्रद्धा से उसे माथे लगाते
फिर मुँह में डालते
हम तो यूँ ही चबा जाते
इलायचीदाने और मुरमुरे
रोज बेचता था मालीराम
तुलसीदल और फूल
हमारी बाड़ी में बहुत थे
बड़े हुए तो जाना
हरिद्वार
एक व्यावसायिक कस्बा है
मन्दिर हैं वहाँ,
मठ भी
महन्त और दुकानदार भी
मीठे इलायचीदाने
फीके मुरमुरे
तुलसीदल और फूल
सभी तीर्थनगरों की
साझी सौगात हैं
आज भी आता है तीर्थ
लाख के सुन्दर गिट्टों,
सुगढ़ गंगाजलियों
लकड़ी के लुभावने खिलौनों
शंख की सुन्दर
मालाओं के साथ
तीर्थ के साथ आते हैं पिता
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