- भीकम सिंह
1
लो, विदा हुई
एक और साल की
सोचें -विचारें
कैलेण्डर वॉल की
कुछ नये ढाल की ।
2
अस्त हुआ है
एक वर्ष का सूर्य
दु:ख सहते
नई तारीखें लेके
आओ, फिर बहते ।
3
पुराना वर्ष
प्रश्नों को छोड़ गया
कल के लिए
उदय हुआ नया
ज्यों बदल के लिए ।
4
ठेल -ठालके
जैसे तैसे बीता है
पुराना वर्ष
आओ नये के देखें
विषाद और हर्ष ।
9 comments:
सटीक विश्लेषण
Great
बहुत सुन्दर
साधारण शब्दों में वक्त की रफ़्तार को नापती कविता
Wah wah 👏🏻
बहुत खूब 👌
सुंदर
👌👌
🙌👏🙌
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