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Jan 1, 2024

ताँकाः उदय हुआ

  -  भीकम सिंह








1

लो, विदा हुई

एक और साल की

सोचें -विचारें

कैलेण्डर वॉल की

कुछ नये ढाल की ।

2

अस्त हुआ है

एक वर्ष का सूर्य

दु:ख सहते

नई तारीखें लेके

आओ, फिर बहते ।

3

पुराना वर्ष

प्रश्नों को छोड़ गया

कल के लिए

उदय हुआ नया

ज्यों बदल के लिए ।

4

ठेल -ठालके

जैसे तैसे बीता है

पुराना वर्ष

आओ नये के देखें

विषाद और हर्ष ।


9 comments:

Anonymous said...

सटीक विश्लेषण

Anonymous said...

Great

Anonymous said...

बहुत सुन्दर

Anonymous said...

साधारण शब्दों में वक्त की रफ़्तार को नापती कविता

Anonymous said...

Wah wah 👏🏻

Anonymous said...

बहुत खूब 👌

नव पंकज जैन said...

सुंदर

Anonymous said...

👌👌

Anonymous said...

🙌👏🙌