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Mar 1, 2022

दोहे- फिर खिल उठा पलाश

 - डॉ. सुरंगमा यादव

1.  अमराई यौवन भरी, कोयल भरे मिठास।

हवा वसंती कह रही, आजा छोड़ प्रवास।।

2.  फागुन आया मद भरा, मौसम हुआ हसीन।

इठलाता यौवन हुआ, रंग बिना रंगीन। ।

3.  नेह रंग बरसा सखी, कोरे मन पर आज।

सारे रंग फीके लगें, क्या है इसका राज।।

4. रंगों की वर्षा करे, होली बारह मास।

गले सभी मिलते रहें, मन की मिटे खटास।।

5. चटक प्रीत के रंग-सा, फिर खिल उठा पलाश।

मादक महुआ कह रहा, पिया मिलन की आस।।

6. होरी और कबीर की, मौन हुई आवाज।

डीजे की धुन पर सभी, थिरकें झूमें आज।।

सम्पर्कः 4/27, जानकीपुरम विस्तार, लखनऊ-226031


2 comments:

शिवजी श्रीवास्तव said...

सभी दोहे बहुत सुंदर।बधाई डॉ. सुरंगमा जी।

dr.surangma yadav said...

बहुत-बहुत धन्यवाद शिवजी श्रीवास्तव जी।