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Dec 1, 2021

लघुकथाः रेलगाड़ी की खिड़की

-अंजू खरबंदा 

आज राकेश बहुत खुश था, होशियारपुर से शादी का बुलावा जो आया था । जिन्दगी की आपा-धापी के बीच अरसे बाद सभी से मिलना होगा । शान-ए-पंजाब से जाना तय हुआ । सर्दी हल्की हल्की दस्तक देने लगी थी, इसलिये टिकट बुक करवाते हुए उसने सोचा चलो इस बार ए.सी. की बजाय जनरल कोच से सफ़र का आनन्द लिया जाए । 

पहले बीवी बच्चे जनरल से जाने पर कुछ नाराज हुए पर फिर थोड़ी ना-नुकुर के बाद मान गए । दिल्ली से लगभग आठ घंटे का सफ़र । सीट बुक थी तो ज्यादा परेशानी नहीं हुई । बच्चों ने झट खिड़की वाली सीट झपट ली । सारा सामान सेट कर पति-पत्नी बातों में मशगूल हो गए ।

दीदी! जम्मू की शॉल ले लो! बहुत बढ़िया है !

रंग-बिरंगी शॉलों का भारी गट्ठर उठाए एक साँवली-सलोनी कजरारी आँखों वाली युवती पत्नी को इसरार करने लगी ।

कितने की है?’

अढाई सौ की!

इत्ती महँगी !

ज्यादा पीस लोगी तो कम कर दूँगी!

मैंने दुकान खोलनी है क्या?’

ले लो न! दोनों दीदियों के लिये और अपनी भाभियों के लिए!

राकेश ने पत्नी को इशारा किया तो उसने आँखें तरेर कर चुप रहने का संकेत दिया ।

अच्छा 5 पीस लूँ तो कितने के दोगी?’

दो सौ रुपए पर पीस ले लेना दीदी!

न! सौ रुपए पर पीस!

दीदी! सौ तो बहुत कम है!’ 

कहते हुए उसका गला रुँध गया और उसकी कजरारी आँखें भर आई ।

चल न तेरी न मेरी डेढ़ सौ पर पीस!

अच्छा दीदी ! ठीक है ! लो रंग पसंद कर लो !

कुछ सोचते हुए उसने कहा और गट्ठर पत्नी के सामने सरका दिया । 

पत्नी ने पाँच शॉलें अलग कर ली और पति की ओर देख रुपए देने का इशारा किया ।

राकेश ने झट 750 रुपये निकाल कर दे दिये । 

उसके जाने के बाद रास्ते भर पत्नी की सुई इसी बात पर अटकी रही  

वो एक बार में ही डेढ़ सौ में मान गई, गलती की थोड़ा तोल मोल और करना था!

और राकेश की सुई... अतीत में जा अटकी थी । 

बेटी को गोद में बिठा रेलगाड़ी की खिड़की से झाँकता वह सोच रहा था -

मेरे पिता भी रेलगाड़ी में सामान बेच जब थके-हारे घर आते तो उनकी आँखों में भी वही नमी होती थी जो आज उस लड़की की आँखों में थी। 

12 comments:

Dr. Purva Sharma said...

भावपूर्ण लघुकथा
अंजू जी को हार्दिक बधाई

Sudershan Ratnakar said...

बहुत सुंदर भावपूर्ण लघुकथा। बहुत बहुत बधाई

Seema Singh said...

बहुत बढ़िया कथा पंच लाइन ने भावुक कर दिया।बधाई अंजु जी🙏🏻💐

bhuvaneshdashottar said...

बहुत सुंदर, हृदयस्पर्शी लघुकथा। हार्दिक बधाई!💐💐💐💐💐

नीलिमा शर्मा Neelima Sharma said...

अच्छी लघुकथा

सदानंद कवीश्वर said...

अत्यंत हृदयस्पर्शी भावुक लघुकथा। हार्दिक बधाई अंजू।

Xyz said...

Jo bat khud par biti hui ho insan, us bat ko amal me rkhta hai...
Very nice.... 💯💯🙏🙏👌👌

Anita Manda said...

हृदयस्पर्शी

Unknown said...

भावपूर्ण अभिव्यक्ति लेखिका श्रीमती अंजू जी का प्रयास सराहनीय है।

रश्मि लहर said...

मन छू गई!

Anonymous said...

आप बहुत सुंदर हैं ।

Anonymous said...

बहुत अच्छी लघुकथा