कूँची बन रंग भरना है
-सारिका भूषण
उम्मीदों की दुनिया में
दूर ...बहुत दूर
जाना है
छोटे - छोटे पँखों से
दूर ...बहुत दूर
जाना है
छोटे - छोटे पँखों से
ऊँची ....बहुत ऊँची
उड़ान भरना है
गहराते आकाश में
उगते सूरज -सा
निखरना है
सुनहरे सपनों के
प्रकाश में
उज्ज्वल भविष्य
गढ़ना है
फैलते तिमिर को
दृढ़ता के बाणों से
भेदना है
अनंत सागर की
गहराइयों में
आशाओं के
गोते लेना है
अब आओ !
जीवन के ऐसे ही
दृश्य में
कूँची बनकर हमें
रंग भरना है।
उड़ान भरना है
गहराते आकाश में
उगते सूरज -सा
निखरना है
सुनहरे सपनों के
प्रकाश में
उज्ज्वल भविष्य
गढ़ना है
फैलते तिमिर को
दृढ़ता के बाणों से
भेदना है
अनंत सागर की
गहराइयों में
आशाओं के
गोते लेना है
अब आओ !
जीवन के ऐसे ही
दृश्य में
कूँची बनकर हमें
रंग भरना है।
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