बस इन्सान बनना है
- डॉ. पूर्णिमा राय
न हिन्दू सिक्ख ईसाई न ही
शैतान बनना है।
गिरा कर वैर की दीवार बस
इन्सान बनना है।।
दिखे रोता अगर कोई तो-उसके
पोंछ कर आँसू
खुदा के नूर के जैसी हमें
मुस्कान बनना है।।
ख़ुशी रूठी है- जिन लोगों
से- उनको हौसला देकर;
सिसकते आँसुओं का खो चुका अरमान बनना है।
बहाकर प्रेम की धारा
समर्पण के इरादों से;
दिलों को जीत ले ऐसा हमें सम्मान बनना है।।
बुराई देखते हैं जो उन्हें
भी खुशबुएँ देकर;
सजा दे ‘पूर्णिमा’ जो घर वही गुणवान बनना है।।
सम्पर्क: ग्रीन ऐवनियू घुमान रोड, तहसील बाबा बकाला मेहता चौंक-143114, अमृतसर (पंजाब) 7087775713
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