इक दूजे से प्यार है हमको
- नमिता राकेश
आज़ादी की धुन में हमने कितने साल गुज़ारे हैं
अंग्रेज़ों से टक्कर ली है हम हिम्मत कब हारे
हैं
गोरों के उस राज में हमने ऐसे भी दिन काटे थे
गर कोई आहट कान में आती सोते से उठ जाते थे
दिल ही दिल में गीत हमेशा आज़ादी के गाते थे
और जऱा भी लब खोले तो हमको हंटर मारे हैं
हिन्दू मुस्लिम प्यार से रहते भारत के ऐवानो में
फर्क कोई महसूस न होता अपनों में बेगानो में
फ़िक्र मुहब्बत का होता है ग़ज़लों में अफसानों
में
दुश्मन के भी काम आते हैं ये किरदार हमारे हैं
वीर दिलावर इस भारत में साधू पीर पैगम्बर हैं
इसमें गंगा जमुना बहती झरने और समंदर हैं
नस्ल-ओ-रंग का फर्क नहीं सब इक मिट्टी के गागर
हैं
इक दूजे से प्यार है हमको ये अंदाज़ हमारे हैं
1 comment:
बहुत बहुत अाभार मेरी रचना पोस्ट करने के लिए
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