माँ की ममता
१
तुम ही हो माँ
तुमसे ऊँचा कौन
नहीं उपमा।
२
माँ का आँचल
शीतल सुरभित
मलयानिल।
३
नहीं समता
सभी गुणों से ऊँची
माँ की ममता।
४
रिश्ते अनेक
सच्चा है रिश्ता सिर्फ
माता का एक।
५
हुए रूबरू
हवाएँ भी लाती हैं
माँ की खुशबू।
६
आतीं बलाएँ
कष्टों से बचा लेतीं
माँ की दुआएँ।
७
लगाता पार
जीवन के कष्टों को
माता का प्यार।
८
पाया चरित्र
माता का मिला मुझे
प्यार पवित्र।
९
माँ के सपने
भरे रंग जिनमें
अब हमने।
१०
तपी न काया
माता की पायी मैंने
शीतल छाया।
११
माँ का आशीष
गर्व से उठाती हूँ
अपना शीश।
१२
रिश्ता है खास
हो रहा एहसास
माँ मेरे पास।
१३
माता लगती
सुरक्षा-कवच-सी
बड़े सच-सी।
१४
देखो संसार
कहीं न मिला मुझे
माता-सा प्यार।
१५
देती जननी
जन्म-प्यार-संस्कार
यह संसार।
१६
जननी-कथा
शब्दों में कैसे कहें
उसकी व्यथा।
१७
पाया है सुख
देखा है जब-जब
माता का मुख।
१८
कैसा अनूप
ममता बिखेरता
माता का रूप।
१९
पाता उल्लास
होता निश्शंक शिशु
माता के पास।
२०
माँ ही थी बस
कौन हुआ अपना
सब सपना।
२१
माँ ही सबमें
सभी जगह हम
माँ के मन में।
२२
कैसा अनूप
ममता बिखेरता
माता का रूप।
२३
घर है खाली
जिसकी करती थी
माँ रखवाली।
२४
बिना ममता
घर भी घर जैसा
कहाँ लगता।
संपर्क: जी-91,सी, संजयगांधीपुरम् लखनऊ-226016, (उ.प्र.)मो. 9412549904, E-mail: mithileshdixit01@gmail.com
1 comment:
नमन !!!
आपकी अभिव्यक्ती को ...
बहुत हर्दय स्पर्शी हाईकू .... !
शत शत वन्दन
सादर
अनुराग त्रिवेदी - एहसास
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