1
प्रेम
का घड़ा
खाली
है बरसों से
तुम भर
दो।
2
तुम्हारा
प्यार
रिमझिम
बारिश
भीगा
है मन।
3
प्रेम फ़साना
सुना
ही तो रही थी
तुम सो
गए।
4
मन की
डोर
तुझ
संग थी बाँधी
यूँ ही
तोड़ दी।
5
दौड़ता
आया
धूल की
गठरी ले
हवा का
घोड़ा।
6
गर्मी
के मारे
तालाब
में सो गया
बेचैन
चाँद।
7
ढह ही
गया
रेत के
घर जैसा
रिश्ता
हमारा।
8
थकी-माँदी-सी
टाँगें
पसार कर
सोई थी
धूप।
9
कुछ
यादें थीं
तुमने
बिखरा दीं
कैसे
बटोरूँ?
10
पीले
पत्ते थे
शाख ने
गिरा दिए
कच्चा
था रिश्ता।
11
आज़ाद
पंछी
कब
किसी का हुआ
झट से
उड़ा।
12
परछाइयाँ
यहाँ-वहाँ
बिखरी
दर्द
से भरी।
13
जीवन-रेत
बंद
मुठ्ठी से झरी
थामी न
गई।
14
पूस की
रात
मेरे
साथ ठिठुरे
मेरा
साया भी।
15
भूखा
बालक
चाँद
को निहारता
रोटी
सोचता।
16
रिश्तों
की धूप
आँगन में
उतरी
सहला
गई।
17
सजीला
चाँद
दूल्हा
बन कर आया
तारे
बराती।
18
यादों
के पन्ने
आँसू
से गीले हुए
तो भी
न फटे।
19
छूटी
जो गली
अब लौट
के आए
ढूँढे
न मिली।
20
मैं
इंसाँ बना
आँखों
में आँसू आए
मुद्दतों
बाद।
21
प्रकृति
परी
फेरे
जादू की छड़ी
बिखरे
रंग।
22
काँपता
चाँद
जाने
कहाँ दुबका
पूस की
रात।
23
कम्बल
ओढ़े
ठिठुरता-काँपता
सूर्य
झाँकता।
24
इंद्रधनुष
सात
रंगों का मेला
रहे
अकेला।
25
बेटा
खज़ाना
बेटी
पराया धन
कैसा
है भ्रम!
संपर्क- एम.आई.जी-292, कैलाश विहार,आवास विकास योजना संख्या- एक, कल्याणपुर, कानपुर-208017 (उ.प्र)
1 comment:
komal samvednaon ki sunder abhivyakti ...meenakshijijivisha
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