- रंजना सिंह
मादक मंद समीर बसंती,
छूकर तन, मन को सिहराए।
इस मोहक बेला में साथी,
आये, बहुत याद तुम आये।
नींद पखेरू,पलकों को तज,
स्मृति गगन में चित भटकाए।
इस नीरव बेला में साथी,
आये, बहुत याद तुम आये।
पूनम का चंदा ये चकमक,
छवि बन तेरा, नेह लुटाये।
इस मादक बेला में साथी,
आये, बहुत याद तुम आये।
उर चातक के स्वाति प्यारे,
तुम बिन तृष्णा कौन बुझाये।
आकर साथी कंठ लगा ले,
पाए हृदय मिलन-सुख पाए।
संपर्क: जमशेदपुर, ब्लॉग- संवेदना संसार, Email- ranjurathour@gmail.com
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