भविष्य के साथ खिलवाड़
उदंती के जनवरी अंक में अनकही के अंतर्गत व्यक्त आपके प्राथमिक शिक्षा के विषय में विचारों से मैं सहमत हूं। शिक्षा का इतिहास बताता है कि सबसे उपेक्षित प्राथमिक शिक्षा है। आयोग और रिर्पोट्स सिफारिशों के बंडल हैं। सबको उच्च शिक्षा की चिंता है यह देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। आपका लेख 'शिक्षा की ध्वस्त बुनियाद' आंख खोलने वाला है।
सुरुचिपूर्ण संयोजन
हमेशा की तरह उदंती का जनवरी अंक भी सुरुचिपूर्ण संयोजन और साज- सज्जा का खूबसूरत नमूना है। बधाई स्वीकार करें। मुख पृष्ठ बहुत ही आकर्षक है। नेताजी का संदेश और पुस्तक प्रेमी सूरज प्रकाश जी का पुस्तक दान भी बहुत प्रेरणादायक सामग्री है। पंडित लोचन प्रसाद पाण्डे के साहित्यिक कृतित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद। उदंती के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
अभिनव प्रयोग
सूरज प्रराश जी द्वारा पुस्तकें बांटने का यह प्रयोग साहित्य जगत में अभिनव प्रयोग माना जायेगा। सही अर्थों में पुस्तकों का प्रचार करने वाले साहित्य प्रेमियों के लिए अनुकरणीय है। यह स्तुत्य प्रयोग है। ऐसे कार्य के लिये सूरज सा दिल भी तो चाहिए।
सार्थक और ख्रूबसूरत पत्रिका
'उदंती' के रूप में एक सार्थक और खूबसूरत पत्रिका निकालने के लिए बहुत -बहुत बधाई...। रचनाओं का चयन अच्छा है...। मेरी शुभकामनाएँ...। काम्बोज जी की लघुकथाएँ... बहुत भावपूर्ण हैं जो मन को छू जाती हैं। एक ओर गरीबी की विवशता तो दूसरी में माँ-बाप का दर्द...। बधाई...। सुधा जी के हाइकु ने अबकी बरस की सर्दी सजीव कर दी...बहुत सुन्दर...।
बस्तर बैण्ड
बस्तर बैण्ड की व्यापक जानकारी देने के लिए संजीव तिवारी जी बधाई के पात्र हैं। वाद्ययन्त्रों एवं गीत -संगीत की जानकारी के साथ कलाकारों की जानकारी देकर लेख को और अधिक विश्वसनीय बना दिया है। अपनी सांस्कृतिक धरोहर की जानकारी से हम अनजान होते जा रहे हैं। उदन्ती जैसी पत्रिकाएँ इस तरह की खोजपूर्ण जानकारी देकर सामाजिक उपकार ही कर रही हैं।
उल्लेखनीय प्रयास
किसी भी पत्रिका के प्रकाशित लेखों और विचारों के प्रस्तुतिकरण में जो आवश्यक होता है, वह इस अंक में मौजूद है। किसी एक लेख के बारे में उसकी गुणवत्ता पर लिखा जाएगा तो बाकी के साथ न्याय नहीं हो सकेगा। आपके पास श्रेष्ठ लेखकों एवं लेखिकाओं की टीम है। मैं उदंती के अंकों को पढ़ता हूं और उनका विश्लेषण करता हूं। मैंने इस पत्रिका के कई लेखों के तथ्यों एवं उनके प्रस्तुतिकरण को देखा। अच्छा नहीं, बहुत अच्छा लगा। समाज को इस तरह की पत्रिकाओं की बहुत आवश्यकता है और मैं समझता हूं कि ऐसा लेखन हर विषय वस्तु के साथ पढऩे वाले को कहीं न कहीं सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उत्कृष्ट पत्रिकाओं को चलाना कोई आसान काम नहीं है। आपका यह प्रयास उल्लेखनीय है, ईश्वर आपकी सदैव सहायता करे।
उदंती के जनवरी अंक में अनकही के अंतर्गत व्यक्त आपके प्राथमिक शिक्षा के विषय में विचारों से मैं सहमत हूं। शिक्षा का इतिहास बताता है कि सबसे उपेक्षित प्राथमिक शिक्षा है। आयोग और रिर्पोट्स सिफारिशों के बंडल हैं। सबको उच्च शिक्षा की चिंता है यह देश के भविष्य के साथ खिलवाड़ है। आपका लेख 'शिक्षा की ध्वस्त बुनियाद' आंख खोलने वाला है।
- डॉ. जय जयराम आनंद, भोपाल (मप्र)
सुरुचिपूर्ण संयोजन
हमेशा की तरह उदंती का जनवरी अंक भी सुरुचिपूर्ण संयोजन और साज- सज्जा का खूबसूरत नमूना है। बधाई स्वीकार करें। मुख पृष्ठ बहुत ही आकर्षक है। नेताजी का संदेश और पुस्तक प्रेमी सूरज प्रकाश जी का पुस्तक दान भी बहुत प्रेरणादायक सामग्री है। पंडित लोचन प्रसाद पाण्डे के साहित्यिक कृतित्व के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी देने के लिए धन्यवाद। उदंती के उज्जवल भविष्य के लिए शुभकामनाएं।
- प्रताप सिंह राठौर, अहमदाबाद, psrathaur@yahoo।com
अभिनव प्रयोग
सूरज प्रराश जी द्वारा पुस्तकें बांटने का यह प्रयोग साहित्य जगत में अभिनव प्रयोग माना जायेगा। सही अर्थों में पुस्तकों का प्रचार करने वाले साहित्य प्रेमियों के लिए अनुकरणीय है। यह स्तुत्य प्रयोग है। ऐसे कार्य के लिये सूरज सा दिल भी तो चाहिए।
- अरविन्द कुमार ठाकुर, पटना
सार्थक और ख्रूबसूरत पत्रिका
'उदंती' के रूप में एक सार्थक और खूबसूरत पत्रिका निकालने के लिए बहुत -बहुत बधाई...। रचनाओं का चयन अच्छा है...। मेरी शुभकामनाएँ...। काम्बोज जी की लघुकथाएँ... बहुत भावपूर्ण हैं जो मन को छू जाती हैं। एक ओर गरीबी की विवशता तो दूसरी में माँ-बाप का दर्द...। बधाई...। सुधा जी के हाइकु ने अबकी बरस की सर्दी सजीव कर दी...बहुत सुन्दर...।
- प्रियंका गुप्ता,priyanka.gupta.knpr@gmail.com
बस्तर बैण्ड
बस्तर बैण्ड की व्यापक जानकारी देने के लिए संजीव तिवारी जी बधाई के पात्र हैं। वाद्ययन्त्रों एवं गीत -संगीत की जानकारी के साथ कलाकारों की जानकारी देकर लेख को और अधिक विश्वसनीय बना दिया है। अपनी सांस्कृतिक धरोहर की जानकारी से हम अनजान होते जा रहे हैं। उदन्ती जैसी पत्रिकाएँ इस तरह की खोजपूर्ण जानकारी देकर सामाजिक उपकार ही कर रही हैं।
-रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' दिल्ली, rdkamboj@gmail.com
उल्लेखनीय प्रयास
किसी भी पत्रिका के प्रकाशित लेखों और विचारों के प्रस्तुतिकरण में जो आवश्यक होता है, वह इस अंक में मौजूद है। किसी एक लेख के बारे में उसकी गुणवत्ता पर लिखा जाएगा तो बाकी के साथ न्याय नहीं हो सकेगा। आपके पास श्रेष्ठ लेखकों एवं लेखिकाओं की टीम है। मैं उदंती के अंकों को पढ़ता हूं और उनका विश्लेषण करता हूं। मैंने इस पत्रिका के कई लेखों के तथ्यों एवं उनके प्रस्तुतिकरण को देखा। अच्छा नहीं, बहुत अच्छा लगा। समाज को इस तरह की पत्रिकाओं की बहुत आवश्यकता है और मैं समझता हूं कि ऐसा लेखन हर विषय वस्तु के साथ पढऩे वाले को कहीं न कहीं सकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। उत्कृष्ट पत्रिकाओं को चलाना कोई आसान काम नहीं है। आपका यह प्रयास उल्लेखनीय है, ईश्वर आपकी सदैव सहायता करे।
- दिनेश शर्मा, संपादक- स्वतंत्र आवाज डॉट कॉम, info@swatantraawaz।com
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