- डॉ. सृष्टि सिसोदिया
माफ करना सीखें। वैसे ये तो सजा देने से भी कड़ा व कठिन काम है, लेकिन यह हमें खुद को तथा वातावरण को हल्का रखने के लिए संजीवनी बूटी का काम करती है।
किसी अपने की बुरी लगी पुरानी बातों व गलतियों को माफ कर नजरअंदाज करना ही उचित है। यदि हम इसे अपनी आदत में शुमार कर लें तो मन से कड़वाहट तो दूर हो जाती है साथ ही हम अपने आप से परेशान नहीं होते और सामने वाले की अप्रस्न्नता भी दूर हो जाती है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो इसका सीधा असर हमारे दिल व दिमाग पर होता है।
देने और माफ करने का ही दूसरा नाम ही जिंदगी है। आप देते और माफ सिर्फ इसलिए नहीं करते कि यह सही है, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि इससे आप अच्छा महसूस करते हैं। किसी को माफ न करने पर आपका मन भी तो अशांत रहता है।
माफी मांग कर जहां हम खुद का बोझ उतारते हैं, वहीं किसी को माफ करके दोनों का मन निर्मल करते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिए मन में बैर क्यों रखें? इंसान को गलतियों से सीखकर, प्रायश्चित कर खुद को भी माफ करना आना चाहिए। अनावश्यक आत्मग्लानि में जलते रहना समझदारी नहीं है। इसपर आप भी सोचिए और माफ करना सीखिए।
किसी अपने की बुरी लगी पुरानी बातों व गलतियों को माफ कर नजरअंदाज करना ही उचित है। यदि हम इसे अपनी आदत में शुमार कर लें तो मन से कड़वाहट तो दूर हो जाती है साथ ही हम अपने आप से परेशान नहीं होते और सामने वाले की अप्रस्न्नता भी दूर हो जाती है। अगर हम ऐसा नहीं कर पाते तो इसका सीधा असर हमारे दिल व दिमाग पर होता है।
देने और माफ करने का ही दूसरा नाम ही जिंदगी है। आप देते और माफ सिर्फ इसलिए नहीं करते कि यह सही है, बल्कि इसलिए करते हैं क्योंकि इससे आप अच्छा महसूस करते हैं। किसी को माफ न करने पर आपका मन भी तो अशांत रहता है।
माफी मांग कर जहां हम खुद का बोझ उतारते हैं, वहीं किसी को माफ करके दोनों का मन निर्मल करते हैं। छोटी-छोटी बातों के लिए मन में बैर क्यों रखें? इंसान को गलतियों से सीखकर, प्रायश्चित कर खुद को भी माफ करना आना चाहिए। अनावश्यक आत्मग्लानि में जलते रहना समझदारी नहीं है। इसपर आप भी सोचिए और माफ करना सीखिए।
1 comment:
very deep thinking.enjoyed reading hindi article after s.uch long time. keep up writting. kshitij,pune
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