बच्चे के जन्म पर उपहार देने की परंपरा तो सदियों पुरानी है। लेकिन दक्षिण अफ्रीका के 'साइट्रस ग्रोवर्स एसोसिएशन' ने इस परंपरा को एक अनूठे अंदाज में निभाया। इस एसोसिएशन ने दुनिया के सात अरबवें के रूप में जन्मे प्योत्र निकोलायेव की मां को उपहार स्वरूप एक टन संतरे का टोकन भेंट किया।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और रूस के राज्य सांख्यिकी संघीय सेवा ने 31 अक्टूबर, 2011 को पैदा हुए इस बच्चे को सांकेतिक रूप से दुनिया के सात अरबवें इंसान के रूप में सम्मानित करने का फैसला लिया, हालांकि इस बारे में ठीक- ठीक तय करना असंभव है। क्योंकि इस मामले में सभी देश की अपनी अलग अलग राय है।
एसोसिएशन के प्रतिनिधि इरिना मर्केल कलिनिनग्राद के उस अस्पताल में पहुंचे, जहां बच्चे का जन्म हुआ और उन्होंने उसकी मां 36 वर्षीया येलेना निकोलायेवा को प्रमाण- पत्र, फूल तथा संतरे के लिए टोकन भेंट किया। निकोलायेवा दंपत्ति कलिनिनग्राद में एसोसिएशन के किसी भी स्टोर से संतरे ले सकते हैं। प्योत्र अपने माता- पिता की तीसरी संतान है।
ममता की मसीहा
पडरौना नगर के समीप स्थित परसौनी कला की 60 वर्षीय श्रीमती शीरीन यशोदा मइया इसीलिए कहलाती हैं क्योंकि वे 23 बच्चों की मां हैं। चार अपने और 19 उनके जिनके माता- पिता लोक- लाज के भय से उन्हें सड़कों पर फेंक गए या अस्पतालों में छोड़ गए। पिछने महीने ही चार दिन की एक नन्ही मासूम का आगमन 19वें बच्चे के रूप में उनकी बगिया में हुआ है।
करीब डेढ़ दशक पहले श्रीमती शीरीन ने यतीम मासूमों की सेवा के लिए शिक्षिका की नौकरी को ठुकरा दिया। ममता की यह मूरत अपने भरे- पूरे परिवार के साथ बीते 11 वर्षो से यतीम मासूमों की नि:स्वार्थ सेवा कर रही हैं। उनके आंगन में इस समय महिमा, एंजल, छाया, कोमल, अनुप्रिया, शारून, विनीता, आशा, जूही, अनीता, मेनका, विशाल, विश्वास, संतोष, वैभव व गैवरियल जैसे 18 बच्चों की किलकारी गूंज रही है। शीरीन के पति रमन सिंह उनके इस काम में उनका भरपूर सहयोग करते हैं। उनकी अपनी चार संतानों में एक पुत्री है, जिसका विवाह हो चुका है तथा दो बेटे बाहर रहते हैं।
संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष (यूएनएफपीए) और रूस के राज्य सांख्यिकी संघीय सेवा ने 31 अक्टूबर, 2011 को पैदा हुए इस बच्चे को सांकेतिक रूप से दुनिया के सात अरबवें इंसान के रूप में सम्मानित करने का फैसला लिया, हालांकि इस बारे में ठीक- ठीक तय करना असंभव है। क्योंकि इस मामले में सभी देश की अपनी अलग अलग राय है।
एसोसिएशन के प्रतिनिधि इरिना मर्केल कलिनिनग्राद के उस अस्पताल में पहुंचे, जहां बच्चे का जन्म हुआ और उन्होंने उसकी मां 36 वर्षीया येलेना निकोलायेवा को प्रमाण- पत्र, फूल तथा संतरे के लिए टोकन भेंट किया। निकोलायेवा दंपत्ति कलिनिनग्राद में एसोसिएशन के किसी भी स्टोर से संतरे ले सकते हैं। प्योत्र अपने माता- पिता की तीसरी संतान है।
ममता की मसीहा
पडरौना नगर के समीप स्थित परसौनी कला की 60 वर्षीय श्रीमती शीरीन यशोदा मइया इसीलिए कहलाती हैं क्योंकि वे 23 बच्चों की मां हैं। चार अपने और 19 उनके जिनके माता- पिता लोक- लाज के भय से उन्हें सड़कों पर फेंक गए या अस्पतालों में छोड़ गए। पिछने महीने ही चार दिन की एक नन्ही मासूम का आगमन 19वें बच्चे के रूप में उनकी बगिया में हुआ है।
करीब डेढ़ दशक पहले श्रीमती शीरीन ने यतीम मासूमों की सेवा के लिए शिक्षिका की नौकरी को ठुकरा दिया। ममता की यह मूरत अपने भरे- पूरे परिवार के साथ बीते 11 वर्षो से यतीम मासूमों की नि:स्वार्थ सेवा कर रही हैं। उनके आंगन में इस समय महिमा, एंजल, छाया, कोमल, अनुप्रिया, शारून, विनीता, आशा, जूही, अनीता, मेनका, विशाल, विश्वास, संतोष, वैभव व गैवरियल जैसे 18 बच्चों की किलकारी गूंज रही है। शीरीन के पति रमन सिंह उनके इस काम में उनका भरपूर सहयोग करते हैं। उनकी अपनी चार संतानों में एक पुत्री है, जिसका विवाह हो चुका है तथा दो बेटे बाहर रहते हैं।
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