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Oct 3, 2021

ताँका- लेके तेरा संदेशा

कमला निखुर्पा

1

मैं तो ये चाहूँ 

बूँद बन बरसूं

मोती न बनूँ

पपीहा कोई पुकारे

प्यास मैं बुझा पाऊँ। 

2

चाहत मेरी 

कस्तूरी सुगंध सी

छुप के रहूँ 

महकाऊँ जो यादें 

खोजें जग हिरन 

3

 पावन तुम

वैदिक ऋचाओं सी

जीवन यज्ञ 

समिधा बन जली 

पूर्णाहुति दे चली ।

4.

लो आई हवा 

लेके तेरा संदेशा 

रोये जो तुम 

भीगा मेरा आँचल 

गुमसुम मौसम ।

2 comments:

Sudershan Ratnakar said...

पावन तुम
वैदिक ऋचाओं सी
सभी ताँका बहुत सुंदर हैं। बधाई

Sushila Sheel Rana said...

बून्द बन बरसूं
मोती न बनूँ
कितनी सुंदर चाहत ! पावन भाव लिए सभी ताँका बहुत सुंदर। बधाई रत्ना जी 💐