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Jun 11, 2018

हरी जबानों की व्यथा


हरी जबानों की व्यथा

-बी. एल .आच्छा
बूढ़ा तो नहीं हुआ हूँ
पर तुम मेरे बौने कद से
नाप रहे हो
मेरे जीवन का वैलेंटाइन ।

सड़क किनारे आते ही
मैं भी बन गया महानगर का पेड़
छाँग दी गईं थी डालें
काट दिया गया
बिजली के तारों का
अतिक्रमण करता
मेरा बढ़ता हुआ ऊँचा शीर्ष
सभ्यता के बुलडोजर से
कुछ कुछ दिनों में
ला दिया गया अपने बौनेपन में।

आज भी हुलस है
किसलय फूटते हैं आज भी
प्लाज्मा टपकता है
और गोंद की तरह
चिपक जाता है।
बासंती बहारों में
अब भी खिलते हैं फूल
कोयल -राग लिए
नई डालियों का आसन
कि श्रोता बन जाएँ शेष पाखी भी।

उलझती हैं पतंगे भी
डोरें देशी-विदेशी भी
पर उड़ते हुए धुएँ
और  पीलौंधी धूलों से
वैसा ही हो जाता हूँ
जैसे ढुलाई करते करते
सीमेंट का आदमी।

तंत्र और सभ्यता ने
पाट दी है मेरी जमीन
बेबसी है मेरी
पर लोकतंत्र की चीख में भी
कौन नहीं है बेबस
आधार कार्ड के बावजूद।

सपाट और सिक्स लेन
डामर और सीमेंट
इनके भीतर भी
फैलाता हूँ जड़ें
यही आस लिए
कि मेरी सघन डालें
कटती पिटती भी
देती रहेंगी छायाएँ
फूलों के मखमली रूप
नव पल्लव के सुकुमार रूप।
बटोहियों के लिए क्षण भर का विश्राम
पक्षियों के लिए अक्षय उड़ान
कभी नहाऊँगा बारिश में
यही होगा उत्सव विधान।

ऐसा नहीं कि तुम
नहीं चाहते मुझे।
बचाना चाहते हो
बुलडोजर और तिजोरियों में
कैद होते हैं जंगल से
कभी लाल सिंदूर चढ़ा देते हो
पत्थर रखकर
और जरा सा हवन- धूप।

पर सभ्यताओं के दारुण स्वार्थ
नियति बन जाते हैं
मेरे कद और जीवन की।
और चमकीली कारों के शीशों से झाँकती
तुम्हारी संवेदनशील आँखें भी
उठावने की तरह रस्म निभा जाती है।

फिर भी
कभी कोई पाखी
चोंच में उठा ले जाएगा मेरा बीज
और गिरा देगा किसी गाँव के मुहाने पर।
कभी फैल गया सुंदर वन की तरह
तो सूखती  सभ्यताएँ भी
पिकनिक मनाने आएँगी।

हमें बहुत चाहती है दुनिया
हरे बानक और पंछियों के
कलरव के साथ
इसीलिए तो छाये  रहते हैं चित्रों में
मीडिया हमसे करवाता है फेशियल।

अब न कोई  देखता है
खिलते हुए गुलाब
ना तड़ाग की अरुणाई में
खिलते कमल दलों को ;
फिर भी सुबह शाम
सरकाते रहते है
वाट्सएप और फेसबुक पर।

स्कूली बच्चे भी
इन्हीं चित्रों से जानते हैं
हम प्रकृति के वाशिंदों को।

पूरा जंगल है
तुम्हारी
मोबाइल मुट्ठी में
पर वह सुख कहाँ
जब सघन छाया में कहकहे लगाते हो
और हम भी
मानवी छुअन से
खिल जाते हैं।

पर अब हम हैं
इस छुअन से परे
और तुम सब भी
हमारी मादक छवि से दूर
केवल मोबाइल मुट्ठी में।

सम्पर्कः 36 क्लीमेंस रोड, सरवना स्टोर्स के पीछे, पुरुषवाकम्, चेन्नई (तमिलनाडु) 600007 (Mob. 094250 83335)

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