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May 16, 2014

बाल एकांकी

नहीं कटेंगे पेड़
हरिहर वैष्णव
(मंच पर नट का प्रवेश।)
नट (दर्शकों को सम्बोधित करते हुए)- क्योंभाइयो और बहनो! आपमें से किसी ने देखा है मेरी नटी को?
पहला दर्शक- क्यों भइयाकहीं खो गई क्याबड़े दु:खी लगते हो?
नट- हाँ भाई साहब। ठीक कहते हैं आप।
(तभी भीड़ में से नटी वहाँ आती है। नट उसे देख कर खुश होता है। सब तालियाँ बजाते हैं।)
नट- अरी भागवान! तू कहाँ रह गई  थी?
नटी- बस! चली ही तो आ रही हूँ।
नट- अच्छाअच्छा। भूल गई  क्याक्यों आए हम लोग यहाँ पर?
नटी- नहीं याद कुछ पड़ता है जी। तुम बतलाओक्यों आए हैं?
नट- हम आए हैंकथा सुनाने। इन लोगों का मन बहलाने।
नटी- अच्छाअब तुम देर न करना। कह डालोजो कुछ है कहना।
नट (दर्शकों से)- सुनो गाँव की एक कहानी। मेरी जुबानीमेरी जुबानी। एक गाँव की सुनो कहानी। मेरी जुबानीमेरी जुबानी।
नटी- कहानीकौन कहानीकहानीकिसकी कहानी?
नट- जरा तू धीरज धर ले नानी। तू मत करना मनमानी। मेरी नानीजरा तू धीरज धर ले।
नटी- लोग खो रहे धीरज अब तो। कहना हो जोकह दो तुम तो।
नट- गाँव एक था जंगल बीच। रहते उसमें नर-नारी। लेकिन जंगल काटे जाते। रोज-रोज थे वे भारी।
नटी- तभी गाँव की महिला एक। खड़ी हो गई  थी वह नेक। बोली अपनी सखियों से। नहीं कटेंगेपेड़ अब एक।
नट- घर-घर जा कर अलख जगाया। सबको उसने था समझाया। लोग थे कहते उसको पगली। पर ना उसने धीरज खोया।
नटी- वह थी कहतीपेड़ हमारे। जीवन का सम्बल हैं प्यारे। इन्हें काटना पाप बहुत है। ये तो हैं भगवान हमारे।
नट- थी औरत वह हिम्मत वाली। रहती थी ना कभी वह खाली। गाँव-गाँव वह घूमा करती। जंगल की करती रखवाली।
नटी- नाम था उसका कुछ अच्छा-सा। घर था उसका कुछ कच्चा-सा। पढ़ी-लिखी वह थोड़ी-सी थी। पर विचार कितना अच्छा-सा।
नट- क्या तुम भूल रही हो नाम?
नटी- हाँहाँ। भूल रही हूँ नाम।
नट- नाम था उसका सोमारी। लोगों पर थी वह भारी। दिखने में थी सुकुमारी। लेकिन काम बड़े भारी।
नटी- क्यों न हम ऐसा करें। जाएँ परदे के पीछे। सोमारी को आने दें। हम आएँगे फिर पीछे।
नट- ठीक कहा भईठीक कहा। तुमने बिल्कुल ठीक कहा।
नटी- चलोचलें हम दूर यहाँ से। दूर बैठ कर देखेंगे। आने दो अब सोमारी को। लोग भी उसको देखेंगे।
नट- लो भाइयोजाते हैं हम। मिलना होगा बाद में। आएगी अब सोमारी। हम आएँगे बाद में।
(दोनों वहाँ से चले जाते हैं। एक ओर से सोमारी का प्रवेश। सोमारी ग्रामीण वेश-भूषा में है। मंच पर आते ही एक ओर से ठक्-ठक् का शोर उभरता है। सोमारी का ध्यान उस शोर की तरफ जाता है। वह उस ओर कान लगा कर कहने लगती है)
सोमारी (उस शोर की ओर कान लगा कर)- फिर से यह ठक्-ठक् का शोर। लगता कोई लकड़ी-चोर। फिर घुस आया जंगल में। दूँ पटखनी दंगल में। (इतना कह कर वह उसी ओर जाती है जिस तरफ से शोर उभर रहा होता है और वहाँ से एक युवक को पकड़ कर खींचती है। युवक के हाथों में कुल्हाड़ी है।)
युवक- अरेअरे! तू करती क्या है?
सोमारी- तू बतलातू करता क्या है?
युवक- पेड़ काटतानहीं देखती?
सोमारी- देख रही हूँदेख रही हूँ। हरे-भरे जंगल का तू हैकरता सत्यानाश! अरे अभागे! क्यों करता हैतू अपना उपहास?
युवक- तू है कौनमुझे क्यों रोकेक्या जंगल तेरे बाप काकाटूँ पेड़ या जंगल साराक्या जाता तेरे बाप का?
सोमारी- ना तेरा ना मेरा जंगल। यह तो सबका अपना है। इसे बचाना काम हमारा। यह सुन्दर इक सपना है। काट न जंगलमेरी मान। सुन ले विनतीदे तू ध्यान। पेड़ कटेंगेसूखा होगा। मत कर तू अभिमान!
युवक- पेड़ न काटूँमर जाऊँगा। तू ही बतलाक्या खाऊँगामेरी रोजी-रोटी इससे। कहाँ-कहाँ अब मैं जाऊँगा?
सोमारी- काम-काज तो और भीढेर पड़े हैं भइया। कुछ भी कर तूलेकिन अब पेड़ काट मत भइया।
युवक (एक ओर संकेत करते हुए)- उधर देख तोकुछ ही गज पर। ढेरों लोग खड़े हैं। रोज काटते जंगल जो हैंअब भी वहीं अड़े हैं। सबके हाथों में है कुल्हाड़ी और गँड़ासे ढेर। काट-काट कर पेड़ों का वेलगा रहे हैं ढेर।
सोमारी- लोजाती उस ओर अभी मैं। लाती महिला-सेना हूँ। जंगल-चोरों के हाथों मेंधरती आज चबेना हूँ।
(युवक चला जाता है। सोमारी एक चक्कर लगा कर अपने साथियों को आवाज देती है।)
सोमारी- सुनोसुनो रीचम्पा-मैना। नैना तुम भी सुनोसुनो। रमकलियारधियासावित्री! तुम सब जन मेरी बात सुनो। सुनो-सुनो रीसुनो-सुनो। रमकलियारधिया... ओ चम्पा-मैना ...।
(भीड़ से तीन-चार महिलाएँ निकल कर वहाँ आती हैं। वे चारों है चम्पामैनानैना और रधिया।)
चम्पा- क्या हैदीदी...?
मैना- क्यों चिल्लाती बड़ी जोर से?
नैना- हुआ कोई क्या झगड़ा-टंटा?
रधिया- कहोकहो तोक्यों बुलवायाक्यों इतना है शोर मचाया?
सोमारी- खामोश रहो! मत शोर करो। थोड़ा-सा बहनाध्यान धरो।
चारों (एक साथ)- ध्यान धरें! क्या ध्यान धरें?
सोमारी (एक ओर संकेत कर)- सुनती होठक्-ठक् का शोरलगता कोई लकड़ी-चोर। फिर घुस आया जंगल मेंदें पटखनी दंगल में?
चारों (एक साथ)- हाँहाँ। दें पटखनी दंगल में। जीदें पटखनी दंगल में।
(पाँचों एक ओर जाती हैं और एक-एक व्यक्ति का हाथ पकड़ कर खींचती हुई लाती हैं। सभी युवकों के हाथों में कुल्हाडिय़ाँ हैं।)
पाँचों (एक साथ)- अरे! ये तो सब अपने हैं लोग!
सोमारी- हाँहैं तो ये अपने ही लोग। इसी गाँव के इसी ठाँव के।
चम्पा- इनको तो कई बार बताया।
मैना- बार-बार इनको समझाया।
रधिया- लेकिन इनकोसमझ न आया।
सोमारी- समझ न आयासमझ न आया।
नैना- अब बोलोक्या करना इनका?
सोमारी- चलो बुलाएँ पंचायत। वहीं करेंगे फैसला।
चम्पा (आवाज देती है)- सुनो-सुनो ओ गाँव वालो। हमने पकड़ा जंगल-चोर। हमने पकड़ा जंगल-चोर।
मैना- अब करना इनका फैसला। हाँकरना इनका फैसला।
(कुछ लोग इधर-उधर से आ कर वहाँ बैठ जाते हैं।)
पहला व्यक्ति- लेकिन मेरी प्यारी बहना। सुन तो लो मेरा भी कहना।
सोमारी- कहोकहो जो कहना चाहो।
पहला व्यक्ति- लकड़ी का तो काम है पड़तारोज-रोज सबको।
दूसरा व्यक्ति- हाँहाँ। इसको-उसकोतुमको-मुझको। काम है पड़तारोज-रोज सबको।
पहला व्यक्ति- फिर बतलाओलाएँ कहाँ सेकाटें जो न पेड़वो खाएँ कहाँ से?
सोमारी- पेड़ों का कटते जाना तोहै विनाश का कारण। धरती सारी जलती हैबिगड़ रहा पर्यावरण।
चम्पा- तेजी से हैं पेड़ कट रहेजंगल नष्ट हुआ है। इसीलिए तो मानवता को भारी कष्ट हुआ है।
रधिया- जंगल के कटते जाने सेकैसे हम जिएँगेजो सूख गयीं नदियाँ तो हमपानी कहाँ पिएँगे?
मैना- बिन पानी सूना जग सारा। पेड़ बिना न पानी। आओ मिल-जुल पेड़ बचाएँ। बरसे बरखा रानी।
नैना- पेड़ कटेंगरमी बढ़ जाए। वर्षा थम-थम जाए। ऐसे में प्राणी का जीवनफिर कैसे बच पाए?
पहला व्यक्ति- लकड़ी न हो फिर हम कैसेचूल्हा-चौका कर सकतेबिन लकड़ी के घर भी कैसेहम सब निर्मित कर सकते?
दूसरा व्यक्ति- कड़क ठण्ड में बिन लकड़ी केक्या रह सकता है कोईइन सबका उपाय जानतीतुममें से क्या है कोई?
सोमारी- है उपाय इन सबका भाई। लोमैं सबसे कहती हूँ। मेरी बात पर कान धरो। यह मैं तब से कहती हूँ।
पहला व्यक्ति- कहोकहो क्या कहती हो तुम?
सोमारी- सभी गाँव के आसपास मेंखुले हुए निस्तार डिपो हैं। जा कर लो खरीद वहाँ सेइसीलिए निस्तार डिपो हैं।
चम्पा- सुविधा देती है सरकार। करने को सबका निस्तार। जा कर ले लेंदादा-भैया। जो कुछ जिसको हो दरकार।
पहला व्यक्ति- यह तो तुमने भली बताई । हम सब के है मन को भायी।
सभी (एक साथ)- हम सब के है मन को भायी। हम सब के है मन को भायी।
मैना- अब इन चोरों का है हमकोकरना जल्दी फैसला।
नैना- करना इनका फैसला। हाँकरना इनका फैसला।
दूसरा व्यक्ति- क्या कहती है महिला-सेना?
सोमारी- सजा है इनको ऐसी देना। बंद करो सब लेना-देना।
पहला व्यक्ति- लेना-देनाक्या लेना और क्या देना?
सोमारी- हाँहाँ। लेना-देना। ना कुछ देनाना कुछ लेना। बंद करो सब देना-लेना।
रधिया- सजा है इनको ऐसी पाना। भूल जाएँ ये जंगल जाना।
चम्पा- इनसे कोई बात न करना।
मैना- इनके घर पर पाँव न धरना।
नैना- हुक्का-पानी कर दो बंद।
सभी (एक साथ)- कर दो बंद। कर दो बंद।
पहला व्यक्ति- सही कहा हैबहना तुमने।
दूसरा व्यक्ति- कह रखा था इनसे हमने।
चम्पा- फिर भी ये करते मनमानी। पेड़ काटने की है ठानी।
रधिया- इनके घर पर कोई काम होनहीं कोई भी जाए।
मैना- कहीं भूल से गया कोई भीसो पाछे पछताय।
सभी (एक साथ)- सो पाछे पछताए पंचोंसो पाछे पछताय।
(तभी अपराधी युवक एक-एक कर बोल उठते हैं।)
अपराधी एक- हमें सब कर दो माफओ भैया। हाँअब कर दो माफ ओ बहना। बाद आज के पेड़ न काटेंमानें सबका कहना। ओ दइया! मानें सबका कहना।
अपराधी दो- लोहम कान पकड़ते हैंअब नहीं कटेंगे पेड़।
अपराधी तीन- एक-एक के जिम्मे हैं अबहरे-भरे ये पेड़।
अपराधी चार- हाँहाँ। नहीं कटेंगे पेड़। भैयानहीं कटेंगे पेड़।
अपराधी पाँच- बहनानहीं कटेंगे पेड़। भाईनहीं कटेंगे पेड़।
सभी अपराधी (एक साथ)- हमें सब कर दो माफओ भैया! हमें अब कर दो माफओ बहना! बाद आज के पेड़ ना काटें। मानें सबका कहना। ओ भैया! मानें सबका कहना।
(तभी नट और नटी वहाँ आते हैं।)
नट- अरेअरे! ये लोग तो हमारा रोल कर रहे हैंभाई।
नटी- फिर तो मारी जाएगी हमारी कमाई।
सोमारी- कोई किसी की रोजी नहीं छीन रहा हैभाई।
नट- तब फिर हो क्या रहा है?
सोमारी- देख-सुन नहीं रहे होपेड़ बचाने कीजंगल बचाने की कसमें ली जा रही हैं। क्या तुम लोग न होगे इसमें शामिल?
नट और नटी (एक साथ)- अरे! हम तो पहले से हैं शामिल।
सोमारी- तो आओ। हम सब ठान लें कि अब के बाद नहीं कटेंगे पेड़।
सभी (एक साथ)- नहीं कटेंगे पेड़अब नहीं कटेंगे पेड़।
(सोमारी गाना शुरु करती है। उसके साथ सारे के सारे लोग भी गाते हैं)
पेड़ हमारे जीवन-रक्षकमिल कर इन्हें बचाएँगे।
पेड़ न काटे कोई भी अबहम सब अलख जगाएँगे।।
            जंगल से हैं जीवन पातेपशु-पक्षी और नर-नारी।
            जंगल हैं तो जीवन हैना हों तो विपदा भारी।।
एक पेड़ सौ पुत्र समानबात ये सबने मानी है।
हरे-भरे जंगल की महिमादुनिया ने भी जानी है।।

  सम्पर्क: सरगीपाल पाराकोंडागाँव 494226बस्तर-छत्तीसगढ़दूरभाष 07786-242693मोबाईल  76971 74308,Email- hariharvaishnav@gmail.com

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