
- जया जादवानी
नींद में होंगे तब हम
धीरे-धीरे जायेंगे
चुपके से सपनों मेंजाने बगैर तुम्हारे
सुबह उठ के गाया अगर वही गाना
उड़ जायेंगे किसी और डाल पर
देंगे सूने दरवाजों पर दस्तक
बजायेंगे कुंडी मानो हवा में बजी हो
भेदती तमाम सन्नाटों को
छुयेगी एकदम उसी जगह हमारी आवाज
खिल उठेंगे प्रतीक्षा में मुरझाये चेहरे
चल देंगे किसी और ढौर पर
आयेगें जैसे आती है नदी से गुजरती हवा
सहलायेंगे थके पैरों चमकहीन बालों को
बैठेगें भूख की बगल में उम्मीद की तरह
आंच की तरह ठंड ही बगल में
सदियों रहेंगे बंद तहखानों में
प्रकट होंगे अचानक पुरानी चमक लिये
छोड़कर आयेगें घर तक घर भूले पथिक को
पड़े रहेंगे भीतर बच्चे हैं जब तक
पककर फुटेगें
गदरायेगें तुम्हारे चेहरे पर
नया स्वाद देगें
गिरेगें बीज बनकर तुम्हारे ही भीतर
गायेंगे ऐसे गाने लगोगे खुद को
हम गाने वाली चिडिय़ा हैं।
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