रंगो की सौगात
-डॉ.जेनी शबनम
धरती रँगी
सूरज नटखट
गुलाल फेंके!
०
तन पे चढ़ा
फागुनी रंग जब
मन भी रँगा!
-डॉ.ज्योत्स्ना शर्मा
चुपके से आ
सूरज ने बिखेरा
लाल गुलाल।
०
झूमते तरु
सुवासित पवन
बौराई फिरे।
०
हँसे दिशाएँ
मुस्कुराया चमन
चटकी कली।
-सीमा स्मृति
बरसे रंग
जि़न्दगी का कैन्वास
बदले पल।
०
छींटे नहीं, ये
रंग थे, सतरंगी
ओढ़े जि़न्दागी।
-अनुपमा त्रिपाठी
रंग बिरंगी
बसंत की सौगातें
फूलों की बातें।
०
बुन ले गुण
रंग छाई बहार
मन फागुन!
०
फागुन गीत
निर्झर बहे धारा
ढूँढे किनारा।
-अनिता ललित
फागुनी रुत
खिले टेसू के फूल
महके दिल!
०
पहली होली
पहली वो फुहार
न भूले दिल!
०
याद जो आए
बचपन की होली
उदास दिल!
-हरकीरत हीर
लग जा गले
मिटाकर दुश्मनी
होलिका जले।
०
भीगी अखियाँ
भीगा है तुझ बिन
मन होली में।
-शशि पुरवार
सपने पाखी
इन्द्रधनुषी रंग
होरी के संग
०
रंग अबीर
फिजा में लहराते
प्रेम के रंग
-प्रियंका गुप्ता
प्रेम का रंग
जब मन पे चढ़े
छूट न पाए।
०
यादें-अबीर
धीरे से लगा जाती
मन सहेली।
०
सुख और दुख
जीवन-पिचकारी
भर के मारे।
-सुभाष लखेड़ा
जरूर खेलें
रंगों से यह होली
मीठी हो बोली।
०
आई होली है
न शिकवे न गिले
प्रेम से मिलें।
प्रेम से मिलें।
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